For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

ग़ज़ल - मुहब्बत क्यूँ नहीं करते 

1222 1222

मुहब्बत क्यूँ नहीं करते,

शरारत क्यूँ नहीं करते |

बड़े ही बे - मुरव्वत हो,

अदावत क्यूँ नहीं करते ||

अलग अंदाज है उनका,

बगावत यूँ नहीं करते |

बिखर जाए अगर लाली,

वो हसरत भी नहीं करते ||

बड़े अरमान हैं मेरे,

हिफाज़त भी नहीं करते |

शिकायत लाख है उनको,

मुखालिफ वो नहीं करते ||

भरोसा तोड़ देते हैं,

इबादत वो नहीं करते|

फरिश्ते भी अगर आयें,

तगाफुल वो नहीं करते ||

मुबारक शोखियाँ उनको,

हक़ीक़त से नहीं डरते |

झलक देखी नहीं हमने,

शिकायत हम नहीं करते ||

तसल्लीबख्श हैं देखो,

वो ख्वाहिश भी नहीं करते |

मयस्सर जो नहीं उनको,

तकाज़ा वो नहीं करते ||

मुकद्दर देख कर अपना,

सितम से हम नहीं डरते |

ज़माने की मुहब्बत में,

कयामत से नहीं डरते ||

अनिता भटनागर(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 199

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on January 26, 2023 at 9:05pm

सादर प्रणाम आदरणीया ग़ज़ल के प्रयास की हार्दिक बधाई आपनव जो बहर लिखी है उसके मुताबिक पूर्ण विराम का प्रयोग इस प्रकार उचित नहीं हैं दो बार पूर्ण विराम न लगाइए एक ही बार लगाइए और दो शेरो के बीच मे एक लाइन नहीं छोड़िए बल्कि हर शेर के बाद एक लाइन छोड़िए

दूसरी बात आपकी इस ग़ज़ल में काफ़िया निर्धारण सही से नहीं हो पाया है आपने मतले के दोनों मिसरों में क्यू लिया है ऐसे में क्यूँ को भी काफ़िया कैसे माना जाए अगर मान भी लिया जाए तो आगे के शेरों में आपने उसे निभाया नहीं है

रदीफ़ भी आपने दो इस्तेमाल कर ली करते और डरते

आपके भाव बहुत अच्छे हैं बेहतर होगा आप इस ग़ज़ल पर पुनः काम करें

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service