For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं बांधना चाहता हूँ राखी......

मैं बांधना चाहता हूँ राखी
आज रक्षा-बंधन के त्यौहार
हाथ में लिए फूलों का हार
बिटिया, राखी तुम्हारी कलाई
तुम्हे कृतज्ञता -वश......
जब-जब भी मुझे खांसी आई
या थोडा सा जुकाम हुआ.....
फोन की घंटी घड़-घ|ने लगती है ...
पापाजी कैसे हैं ? मम्मी!
जल्दी बताओ ! मेरा दिल डूबा जा रहा है ,
क्यों कि रात के अंतिम प्रहर में ,
मैंने एक सपना देखा है ....
पापाजी बीमार हैं
कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है ....

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by chetan prakash on September 22, 2010 at 8:38pm
बागीजी , अनजाने अनचाहे अपराध हुआ है क्षमा करें.
कृपा बनाये रखियेगा. कविता को सराहने और प्रेरणास्पद
शब्दों हेतु कोटिशः धन्यवाद स्वीकार करें
Comment by chetan prakash on September 22, 2010 at 8:30pm
अलका जी, क्षमा करें मैंने आज ही
रक्षा बंधन के बाद पदार्पण किया. Thanks a lot!
Comment by alka tiwari on August 26, 2010 at 2:06pm
kavita ne man ko chua.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 24, 2010 at 11:29pm
वाह बहुत बढ़िया रचना, बेटिओं का जबाब नहीं, सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई इस खुबसूरत कृति और रक्षाबंधन पर आपको ,
Comment by Admin on August 24, 2010 at 11:12pm
आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रणाम,
सर्वप्रथम ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपकी पहली कविता का ह्रदय से स्वागत है, उम्मीद करता हूँ कि आगे भी आप की रचनायें हमे पढ़ने को मिलती रहेगी तथा अन्य साहित्यकार साथियों की लिखी रचनाओं पर आप अपना बहुमूल्य टिप्पणी देते रहेंगे, बधाई इस खुबसूरत कविता और रक्षाबंधन पर्व के लिये, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
26 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
27 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
29 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
32 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला बहुत आभारी हूँ आपका आपने बहुत माकूल इस्लाह…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय विकास जी। मतला, गिरह और मक़्ता तो बहुत ही शानदार हैं। ढेरो दाद और…"
1 hour ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलक राज जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल के हर शेअर को फुर्सत से जांचने परखने एवं सुझाव पेश करने के…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service