1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Anita saini's Comments
Comment Wall (2 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.
मुहतरमा अनिता सैनी जी आदाब, ओ बी ओ के मंच पर आप का स्वागत है।
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
दोहा पंचक. . . . .इसरार
शोक-संदेश (कविता)
ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
दोहा दशम्. . . . . गुरु
लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
दोहा सप्तक. . . नजर
कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
भादों की बारिश
ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
कुंडलिया. . . . .
दोहा सप्तक. . . . . विविध
छन्न पकैया (सार छंद)
गहरी दरारें (लघु कविता)
शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
जो समझता रहा कि है रब वो।
कुंडलिया. . . .
अस्थिपिंजर (लघुकविता)
कुंडलिया
Latest Activity
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक