For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल

221 2121 1221 212

मदमस्त हम न हों कभी आँखों नमी से हम
सुख दुख रहें खुशी से सदा बन्दगी से हम

हर शख़्स चाहता है ख़ुशी से हो ज़िन्दगी
तस्बीह हो ख़ुदा की बचें हर बदी से हम

हमदर्द बन रहें कभी ज़िन्दा न लाश हों
खुशहाल ज़िन्दगी जियें इन्सान ही से हम

हमको क़सम ख़ुदा की न ज़ालिम का साथ हो
खुशहाल हर कोई कि हर दम नबी से हम

हम भूल कर भी साथ न हों साज़िशों कहीं
जल्लाद हर कहीं हैं निरे पीर ही से हम

चेतन हमें सुकूँन भी हासिल कहीं तो हो
मंज़िल हमारे क़दमो हों मालिक, ख़ुशी से हम

प्रोफ. चेतन प्रकाश चेतन
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 208

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on July 1, 2023 at 10:10pm

आदरणीय, नीलेश 'नूूर',धन्यवाद !
ग़ज़ल की भाषा के सम्बंंध, मुझे यह कहना है कि सन्दर्भ गत गज़़ल के अंश
दूसरी कापी में आपके परामर्श से पहले ही बदल चुका था । लेकिन समय से सम्पादन ( एडिटिंग ) नहीं कर पाया ।
"कभी ज़िन्दा न लाश हों" के बजाय
उक्त मिसरे में "सदा मासूम साथ हों "
मंजिल हमारे क़दमों में जीयें खुशी से हम, यहाँ मालिक शब्द को बदला गया है !
"हर कोई कि हर दम नबी से हम " को बदलकर
खुशहाली सब जगह हो निरे पीर ही से हम
किया गया था! सादर ...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 1, 2023 at 12:24pm

आदरणीय चेतन जी,

ग़ज़ल का ठीक प्रयास हुआ है. 
मुझे लगता है कि ग़ज़ल की जगह आपको ज़बान का अध्ययन करने कि अधिक आवश्यकता है ..
अन्यथा न लें किन्तु 
.
 कभी ज़िन्दा न लाश हों
खुशहाल हर कोई कि हर दम नबी से हम
हम भूल कर भी साथ न हों साज़िशों कहीं
मंज़िल हमारे क़दमो हों मालिक, ख़ुशी से हम
जैसे तमाम मिसरे या तो कोई अर्थ नहीं देते हैं या अर्थ का अनर्थ करते प्रतीत होते हैं.
प्रयास के लिए बधाई 
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service