For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,

महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,
ये पगल सब को निहाल कर के छोर दी ,
असली समाजबाद येही तो लाती हैं ,
एक ही थाली में सब को खिलाती है ,
खिरकी से झाक कर पैमाल कर के छोर दी,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,

बाबा जी बनिया या राजपूत चमार के ,
चवर में ले जाती कनखी से मार के ,
बाप जी बेटा जी हाकिम चपरासी जी ,
इसके सेवकाई में लग गए सन्यासी जी ,
पूरा बिहार के बंगाल कर के छोर दी ,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,

देखिये धनान्त्री की कलसा भी फुट गई ,
बोतल के पानी पे अब लोटा भी छुट गई ,
जाती के नाम पर जिसे पास नहीं बैठने देते ,
महुआ के देती से मिलने साथ लेकर चल देते ,
पूरा हिंदुस्तान को नेपाल कर के छोर दी ,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,

ये पगली बैर भाव को भुलवा देती है ,
अंजानो को भी अपनो सा साथ देती हैं ,
पंडित हो या मुल्ला यहा नहीं करते खंडन ,
ये तो तोर देती हैं जाती धरम के बंधन ,
पूरा बिस्वा में ये दोस्ती के राग छेर दी ,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,

ये आपना बनाकर कही की नहीं छोरती ,
यद् नहीं रहता खाई खंदक में सोलादेती ,
इसकी संघात की मिसाल और क्या दू ,
परे हैं खाई में मुह में कुत्तो से मुतवा देती ,
सब कुछ लुटा मुझे बर्बाद कर के छोर दी ,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,

Views: 393

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 7, 2010 at 9:27pm
bahut badhiay guru jee..........
ये आपना बनाकर कही की नहीं छोरती ,
यद् नहीं रहता खाई खंदक में सोलादेती ,
इसकी संघात की मिसाल और क्या दू ,
परे हैं खाई में मुह में कुत्तो से मुतवा देती ,
सब कुछ लुटा मुझे बर्बाद कर के छोर दी ,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी
bahut badhiay aisehi likhat rahi........raur rachna ke besabri se intezaar rahela.....
Comment by Admin on April 7, 2010 at 3:22pm
बाबा जी बनिया या राजपूत चमार के ,
चवर में ले जाती कनखी से मार के ,
बाप जी बेटा जी हाकिम चपरासी जी ,
इसके सेवकाई में लग गए सन्यासी जी ,
पूरा बिहार के बंगाल कर के छोर दी ,
महुआ की बेटी कमल कर के छोर दी ,
बहुत ही बढ़िया कविता है गुरु जी आपका जबाब नहीं है , किसी भी बिषय पर कविता लिखने का गुण कोई आपसे सीखे, अब देखिये न आपने तो महुवा के बेटी को भी नहीं छोड़ा, उसपर भी क्या शानदार कविता लिखा है, बहुत बहुत धन्यवाद महुवा के बेटी के लिए अ र्रर्रर्रर्रर कविता के लिये ,हहहहहहाहा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service