For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इ त अक्सर होला इ काहे होला जी ,

इ त अक्सर होला इ काहे होला जी ,
घर बढ़िया पाके दुलहिनिया रोये ली ,
माई के बदले सास भाई के बदले देवर जी ,
छोटकी बहिनिया जइसन ननदी जे होली ,
बाबु जी कमी पूरा करे ले ससुर जी ,
तबहू ना जाने काहे रहे ली उदास ,
मिले ले सजन जे रहेले उनका पास ,
कवन दुःख बाटे इ त ना बुझाला जी ,
घर बढ़िया पाके दुलहिनिया रोये ली ,
इ हो त सोचे के बाटे हो बतिया ,
नायकी कनिया आपन घर ना माने ली ,
ससुरा में कुछ नाहि नैहर में सब कुछु ,
इहे त मनवा में इहे उहो जाने ली ,
पहिला बरस जैसे तैसे में कटे ला ,
दूसरा बरस से सब आपन काहे ली ,
घर बढ़िया पाके दुलहिनिया रोये ली ,
नैहर के लोग बोले बबुनी हो रुक जा ,
रुके ली नाहि नव नव गो रोवेली ,
काम ख़राब होई माई तुहू जनिह हो ,
सचे इ बतिया बा हमरो इ मनिह हो ,
फिर कभी आयें माई मिलिए के जयेम,
सासु हमार हमारा बिना ना खाए ली ,
घर बढ़िया पाके दुलहिनिया रोये ली ,

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Babita Gupta on April 10, 2010 at 10:21pm
Mai Ravi jee key kavita ko padhati hu achha lagata hai, yey kavita bhi achha hai
Comment by Sanjay Kumar Singh on April 10, 2010 at 7:23pm
jab akshar hola, ta kahey aap puchat baani ki kahey hola, arey honey dijiyey Ravi jee aap q tang adaa rahey hai, hahahahahahaha, arey mai majaak kar raha thaa, bytheway bahut badhiya kavita aap likhey hai,
Comment by Admin on April 9, 2010 at 6:05pm
गुरु जी बेहतरीन रचना बा ई राउर हमेशा के तरह, बात त राउर सही बा की दुल्हनिया रोवे ली पर का करस ? बेचारी आपन माई बाबू भाई बहिन जनम अस्थान सब छोड़ के एगो अजनबी के घरे जाली त रोअल त जायजे नु बा , वोही दुल्हनिया कुछ दिन के बाद पहिलका जनम के सब साथी के लगभग भुला के एगो नया जीवन साथी संगे ख़ुशी ख़ुशी दिन गुजारे ली , अब का कहल जाव इहेय दुनियादारी बा, जेके हम सब के निभावे के बा ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
10 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
10 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service