For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह निर्विवादित सत्य है कि जिस प्रकार कोयले के हर टुकड़े मे हीरा नही होता उसी तरह हर बुद्धिजीवी मे कवि भी नही होता ? बहुत प्रयास के बाद हीरा मिलने पर जैसे कारीगर अपने कौशल से तराश कर ‘‘हीरा’’ बनाता है, क्या स्वयंभू गुरुजन इससे अधिक भावी ‘‘कवि’’ के लिए करने मे सक्षम हो सकते है ? मेरी समझ मे ‘ना’ है, आपकी समझ मे ‘हा’ हो सकता है लेकिन, सोच कर तो देखिए ऐसे ‘क्लोन-कवियो’ से साहित्य का क्या भला होने वाला है सिवाय इसके कि इस तरह की भीड़ मे ..... ?

Views: 1197

Reply to This

Replies to This Discussion

आपकी बात निर्विवाद सत्य है, आदरणीय.

जहाँ तक साहित्य के भले की बात है तो कमसेकम इल्म के प्रति झुकाव तो बढ़ेगा, वर्ना साहित्य की बातें ’ऊपर के लोगों की बातें समझी जाने लगती हैं.

 

माननीय,
इस समझ का विरोध कहाँ है, लेकिन समझना यह है के लगाव की कीमत निरसता के भंवर मे किसी भले को फँसा कर डुबाना न हो ?

//लगाव की कीमत निरसता के भंवर मे किसी भले को फँसा कर डुबाना न हो//

कुछ स्पष्ट नहीं हुआ. किसको कौन फँसा रहा है.. और कौन फँस ही रहा है ?

 

वैसे इस मंच पर तरही मुशायरा शुरू है, साहब.    आप संभवतः  देख/ पढ़ रहे होंगे.  कल रात्रि बारह बजे इसका समापन होगा.     आपकी  उपस्थिति  अवश्य ही मार्गदर्शिका होती.  ..

सादर.

भाई साहब,
"तरही" से "तौबा" कर चुका हूँ, अब आप से मुआफी ही माँग सकता हूँ, और क्या कहूँ ? हर हाद्सात की कहानियाँ मैने गढ़ रखी हैं, कभी फ़ुर्सत में मिले आप, तो ज़रूर सुनाऊगा, वादा रहा....वैसे भी, एक राहगीर, दूसरों को कैसे राह दिखा सकता है..... ??

//"तरही" से "तौबा" कर चुका हूँ, अब आप से मुआफी ही माँग सकता हूँ, और क्या कहूँ ? हर हाद्सात की कहानियाँ मैने गढ़ रखी हैं, कभी फ़ुर्सत में मिले आप, तो ज़रूर सुनाऊगा, वादा रहा..//

 

आदरणीय,  आपको मेरी बातों से कष्ट हुआ, इसका मुझे आंतरिक दुख है.  आपकी व्यक्तिगत नापसंदगी का भान नहीं था मुझे.  मैं आपकी बातें आपसे सुन सका यह मेरे लिये भी भाव साझा का एक अवसर होगा.  और  आने वाले समय में हुआ मेरा वाराणसी का दौरा बिना आपके साक्षात् आशीष के पूरा होगा भी क्या ?  मैं तो नहीं सोचता.

 

//वैसे भी, एक राहगीर, दूसरों को कैसे राह दिखा सकता है..... ??//

 

रहनुमाई करने वालों और रहबरों से तौबा.   अब तो,  दो कदम तुम जो चलो, दो कदम हम भी चलें.. बस.   और किसी की क्या प्रतीक्षा ???

नमस्ते,

कोयले के हर टुकड़े मे हीरा नही होता उसी तरह हर बुद्धिजीवी मे कवि भी नही होता


कितनी सच्ची बात कह दी आपने

क्या स्वयंभू गुरुजन इससे अधिक भावी ‘‘कवि’’ के लिए करने मे सक्षम हो सकते है

कविता का तो नहीं पता मगर शाइरी बिना उस्ताद के सीखने की कोशिश की जाए तो सीखते सीखते ही सीख पायेंगे और उम्र निकल जायेगी

मगर यदि उस्ताद मिल जाएँ और सीखने वाले में लगन हो तो ४-५ साल में शाईर ठीक - ठाक  शेर तो कह ही लेगा जो अन्य उस्ताद शाईर  को भी पसंद आ सकें
फिर उसके आगे तो आदमी की खुद की काबलियत ही उसे बढाती है 
आशा करता हूँ आप सहमत होंगे

सादर

विंनस जी, ओ.बि.ओ. जब भी देखता हूँ आप छाए रहते हैं, अच्छी बात है की इतना वक्त निकाल पाते हैं आप. उन उस्तादों को अपने शागीर्दो को बर्बाद करते देखा है हमने जिन्होंने अपना "कहा" दे-दे कर खुद कहने की क्षमता को ही समाप्त कर दिया है. पते की बात यह है की ऐसे कुछ शायर अब मशहूर भी हो गये है लेकिन पढ़ते है 'उस्ताद' की रचना अपने "तखल्लुस" के साथ. उम्मीद है और दोआगो भी की ऐसे उस्तादों से आपका सामना न हो. आपकी मुराद भी यही होगी शायद ?

अफ़सोस साहब,

मैं क्या और मेरा वजूद क्या...

इस वेबसाईट पर पहले दिन से ही मुझसे कई गुना ज्यादा अनुभवी लोग मौजूद है परन्तु कुछ बात थी कि जब गज़ल की बात होती थी तो वो लोग उतना खुल कर बात नहीं करते थे जितना किसी को सीखने के लिए अपेक्षित होता

(कहीं न कहीं यह उनकी सूझ बूझ और अनुभव है कि वो यह जानते थे कि लोग अपने से सीखते हैं और धीरे धीरे जानते समझेते है तो उसमें कच्चापन नहीं रह पाता )

मेरी उम्र इतनी नहीं थी,, न अभी है कि इस बात को समझ पाता,, इस वजह से कही न कही मैं गज़ल को ले कर बड़ा उत्सुक रहता था और कोई न कोई बात कहता रहता था कि नए लोग को लगा कि ये लड़का तो अच्छा जानता है  
मगर मैं कभी इस भुलावे में नहीं आया कि मैं यहाँ मौजूद अनुभवी लोगों के बराबर या उनसे ज्यादा कुछ जानता हूँ
अब पिछले कुछ दिन से ओ बी ओ पर गज़ल को ले कर एक अलग ही वातावरण बना है जो निश्चित ही मेरे साथ साथ सभी के लिए खुश खबर है  सभी लोग रदीफ काफिये से आगे अब बह्र पर बात करते हैं और खुल कर चर्चा होती है शायद सभी को लगा होगा कि यह सही समय है ...

इसके आगे मैं फिर से यही कहूँगा कि ...

मैं क्या और मेरा वजूद क्या...

उन उस्तादों को अपने शागीर्दो को बर्बाद करते देखा है हमने जिन्होंने अपना "कहा" दे-दे कर खुद कहने की क्षमता को ही समाप्त कर दिया है

साहब,
इलाहाबाद में मैंने भी ऐसे बहुत लोग को देखा है
ऐसे लोग शाइर हो सकते हैं,,, बहुत अच्छे शायर भी हो सकते हैं मगर उस्ताद नहीं
उस्ताद अच्छे या खराब नहीं होते,, या तो होते हैं या नहीं होते
मैं नहीं मान सकता कि ऐसे लोग उस्ताद है ,, और हर वो इंसान नहीं मानेगा जो सच्चा कवि / शाइर है

चार  मिसरे याद आ रहे हैं ...

शेर अच्छा बुरा नहीं होता
या तो होता है या नहीं होता

आह या वाह वाह होती है
शेर पर तब्सिरा नहीं होता .....  (दीक्षित दनकौरी)

उस्ताद होने के लिए भी इस मतले जैसी ही कुछ बात होती है,,,,

उस्ताद अच्छे या बुरे नहीं होते,,,,, या तो होते हैं या नहीं होते

सादर

आज ओ.बी.ओ. पर अपनी कही बातों को दुहरा रहा था तो लगा आप से हुई बात अंजाम तक पहुचनी ही चाहिए, काबी किसी मौके पर कहा था :-
" शेरो की चोरी होती है अदबी नशिस्त मे, होते है जब छिछोर छिछोरी नशिस्त मे ।
शायर का खून होता है शेरो के साथ-साथ, होती है जब भी दांत-निपोरी नशिस्त मे ।"


बात मोहब्बत से हो तो मज़ा आता है ... वर्ना किसे फुर्सत है अपने ग़म से !!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
21 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
39 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बेहद ममनून हूँ।"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"लोग क़ाबिज  अजीब हरक़त में वो दबाते  है   आँख    लानत में जो शऊर इक…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, प्रोत्सयाहन के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी हर ग़ज़ल मुझे पसंद आती है हालांकि आपके शब्दकोश के कई शब्दों का अर्थ मैं…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं। कुछ मिसरे तो अति सुंदर है।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं।ग़ज़ल का मतला वैसे तो अच्छा है पर यह…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service