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अकेला .......

अकेला
एक शब्द
स्वयं मे अकेला|
हजारों कि भीड़ मे
एक अहसास
अकेले होने का
इंसान को अकेला कर देता है
समाज मे,स्वयं कि सोच मे|

कितना अजीब सा है
यह अहसास
अकेलेपन का ?

कभी सोचा है तुमने
किसी सुखी मनुष्य का बारे मे
क्या उसे सालता है अहसास
अकेलेपन का
अथवा यह है अनुभूति
केवल दुखी मनुष्य के साथ?

अकेलापन किसी कि बपौती नहीं
यह है मात्र अहसास
विचारों के साथ|

कभी कभी अच्छा लगता है
अकेलापन
किसी कि सुनहरी
यादों के साथ|

तन्हाई मे अकेले
बहुत लोग होते हैं
संग मे कुछ ख्वाब जुड़े होते हैं
पर
चंद लोग
जो भीड़ मे रहकर भी
अकेले होते हैं
यादों मे भी उनके संग कोई नहीं होते हैं
तब काटता है उन्हें
अकेलापन
और मुश्किल होता है
उनके लिए
अकेलेपन का अहसास|

शायद उनमे से ही कुछ लोग
चिन्तक बन जाते हैं
जब
अकेलेपन की
बंजर धरती पर
विचारों के फूल
खिल जाते हैं|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

Views: 440

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Comment by dr a kirtivardhan on January 24, 2012 at 5:11pm

dhanyawad bandhuvar

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on January 22, 2012 at 7:36pm

ये पंक्तियाँ याद आ गईं...

भीड़ में भी रहता हूँ वीरान के सहारे.

जैसे कोई मंदिर किसी गाँव के किनारे...

सुन्दर अभिव्यक्ति डाक्टर साहब, सादर बधाई स्वीकारें...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2012 at 5:36pm

चंद लोग
जो भीड़ मे रहकर भी
अकेले होते हैं
यादों मे भी उनके संग कोई नहीं होते हैं
तब काटता है उन्हें
अकेलापन

वाह वाह, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति डॉ साहब, बधाई हो,

कृपया ध्यान दे...

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