परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के शानदार पच्चीस अंक सीखते सिखाते संपन्न हो चुके हैं, इन मुशायरों से हम सबने बहुत कुछ सीखा और जाना है, इसी क्रम में "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६ मे आप सबका दिल से स्वागत है | इस बार का मिसरा हिंदुस्तान के मशहूर शायर जनाब राहत इन्दौरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है। इस बार का मिसरा -ए- तरह है :-
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"उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो"
२१२ २१२ २१२ २१२
फाएलुन फाएलुन फाएलुन फाएलुन
रदीफ़ : करो
क़ाफ़िया : आया (कमाया, उड़ाया, चबाया, खिलाया, लगाया इत्यादि)
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मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २६ अगस्त २०१२ दिन रविवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २८ अगस्त २०१२ दिन मंगलवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक २६ जो पूर्व की भाति तीन दिनों तक चलेगा, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी | कृपया गिरह मतले के साथ न बांधे अर्थात तरही मिसरा का प्रयोग मतले में ना करें | मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है:-
( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २६ अगस्त २०१२ दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा )
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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मुझे बहुत हर्ष हो रहा है।...आपका बेहद शुक्रिया।
आपकी बधाई पाकर धन्य हो गया।।
आपकी मुझे और भी निगाहें करम चाहियें।। कृपया पूरी ग़ज़ल की तख्ती करें।
खेत तुमसे बहुत प्यार करने लगे
बादलो खाली मत गडगडाया करो।...उम्दा शेर
खूबसूरत ग़ज़ल सादारानीय सुजान जी
अरविंद चौधरी जी, नमस्कार, और धन्यवाद।
मुझे बहुत हर्ष हो रहा है।
खेत तुमसे बहुत प्यार करने लगे
बादलो खाली मत गडगडाया करो।
बहुत ही बढ़िया गजल
हर शेर लाजवाब है
हार्दिक बधाई सुबे सिंह जी
उमाशंकर जी, आपका धन्यवाद।।।
आपकी टिप्पणी ने मुझे हौंसला दिया है।
आदरणीय सुजान जी,
सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें!
मुझे बहुत हर्ष हो रहा है..संदीप द्विवेदी........आपका आभार ।
मुझे बहुत हर्ष हो रहा है।...आप सब का बेहद शुक्रिया।
सुजान जी बहुत सुंदर ग़ज़ल ग़ज़ल से नवाजा है आपने इस मंच को। शानदार प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत मुबारकबाद !
सूर्या जी, नमस्कार व बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वा हर शेर का अंदाज़े बयाँ औरों से अलग और खूबसूरत है
ढेरों दाद कबूल करें
वीनस भाई , आपकी दाद कबूल है,और ापका शुक्रिया
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