For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


► निर्झरण से झरण की ओर ::: ©

समय का बहाव, पवन का प्रवाह,
सख्त भौंथरी चट्टान,
अब तीखे नक्श पाने लगी है,

न चाहते हुए भी,
मन का खुद को बरगलाना,
जैसे पानी का बर्फ बन,
चट्टान के भ्रम संग,
खुद को बरगलाना,

वक्ती थपेड़े पड़े हैं मगर,
आज नहीं कल ही सही,
बदलेगा प्रारब्ध मेरा भी,

क्षण-भंगुर हो,
भटक-चटक रही है,
चंचलता-कोमलता, मेरे मन की,
पिघल-बहाल हो रही है,
जैसे बर्फ की मानिंद,

अब और भी करनी है,
मेहनत करारी,
नयी भावुकता है,
नयी दुनियावी सोच है,
खा गए सोच पुरानी को,
मिल सारे दानव कलयुगी,

परन्तु अंत संग उदय भी है,
आँखें मूंदे नहीं दिखेगा,
मिंचमिंचाते ही सही,
खोल पपोटे देखा मैंने,
सामने है तैयार खड़ा,
मेरे स्वागत को आतुर,
सप्त-रंगी इन्द्रधनुष,
नयी आभा है प्रकाश नया,
गमन है मेरा,
निर्झरण की बर्फ से झरण की ओर..!!

जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 13 अक्टूबर 2010 )

.

Views: 365

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 15, 2010 at 3:25pm
मेरे स्वागत को आतुर,
सप्त-रंगी इन्द्रधनुष,
नयी आभा है प्रकाश नया,
गमन है मेरा,
निर्झरण की बर्फ से झरण की ओर..

बहुत बढ़िया, विपरीत परिस्थितियों में संबल प्रदान करती यह रचना वाकई कमाल की है, एक बेहतरीन अभिव्यक्ति |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ग़ज़ल — 2122 1122 1122 22/112 लग रहा था जो मवाली वही अफसर निकलामोम जैसा दिखा दिलबर बड़ा पत्थर…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति हेतु। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
"आदरणीय दिनेश जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया ऋचा यादव जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादगी से जो बयाँ करता था…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया रचना भाटिया जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी गजल का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया रचना भाटिया जी, सादर नमस्कार। आपने उचित प्रश्न पूछा है, जिससे एक सार्थक चर्चा की सम्भावना…"
6 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, सादर नमस्कार! खूबसूरत ग़ज़ल के साथ मुशायरे का आगाज़ करने के लिए आपको हार्दिक बधाई!"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service