शिशु गीत सलिला : 8
संजीव 'सलिल'
*
71. हाथी
सूंढ़ हिलाता आता है,
बच्चों के मन भाता है।
सूपे जैसे कान बड़े-
खम्बे जैसे पैर खड़े।
गन्ना इसको मन भाए,
पल में गट्ठा भर खाए।
बैठ महावत संग ऊपर
तुमको सैर करा लाये।।
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72. गेंद
फेंको गेंद पकड़ना है,
नाहक नहीं झगड़ना है।
टप-टप टप्पे बना गिनो-
हँसो, न हमें अकड़ना है।।
*
73. बल्ला
आ जाओ लल्ली-लल्ला,
होने दो जमकर हल्ला।
यह फेंकेगा गेंद तुम्हें -
रोको तुम लेकर बल्ला।।
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74. रेलगाड़ी
छुक-छुक करते आती है,
सबको निकट बुलाती है।
टिकिट खरीदो, फिर बैठो-
हँसकर सैर कराती है।
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75.आइसक्रीम
नाना-नाती, दादा-पोता,
नहीं कोई भी पाकर खोता।
जो भी बच्चा इसे न पाए-
वही मचलता जी भर रोता।।
नानी-दादी हँसकर खाती-
आइसक्रीम सभी को भाती।
स्वाद, रंग, आकार कई हैं,
जैसी भी हो 'सलिल' लुभाती।।
*
76. मेल
आओ, हम-तुम खेलें खेल,
कभी न कम हो अपना मेल।
एक साथ जो रहते हैं-
हर मुश्किल लेते हैं झेल।।
*
77. दिवाली
आओ! मनाएं दिवाली,
उजली हों रातें काली.
घर की साफ़-सफाई करें.
लक्ष्मी मैया को पूजें.
खूब मिठाई खायेंगे,
मिल फुलझड़ी जलाएंगे.
*
78. होली
रंग खेलो आयी होली.
भर लो खुशियों से झोली.
खाओ गुझिया गाओ फाग-
झूमे बच्चों की टोली..
*
79. राखी
सावन की जब पड़े फुहार,
आये राखी का त्यौहार.
भाई की कलाई पर राखी
बंधे बहिन करे दुलार.
भाई बहिन की रक्षा का
जिम्मा लेता दे उपहार.
*
80. बड़ा दिन
सांताक्लाज खुशी-उपहार,
दे बच्चों को करता प्यार।
सबको गले लगाता है-
बच्चों के मन भाता है।।
खाते केक मिठाई हम
करती ठण्ड नाक में दम।
मना बड़ा दिन पर्व अनूप
नया साल मन भाती धूप।।
***
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आदरणीय आचार्यजी, आपकी मनोवैज्ञानिक सोच ही इन शिशु-गीतों के होने का कारण हुई हैं. बहुत ही बेहतर प्रयास हुआ है आदरणीय.आपके योगदान के प्रति मैं नत हूँ.
किन्तु, एक बात अवश्य कहूँगा कि कुछ पदों में संप्रेषणीयता थोड़ी और होती तो उनकी ग्राह्यता बढ़ जाती. साथ ही साथ, कुछ संबोधन --और शब्द भी-- आज अप्रासंगिक हो गये हैं. यह हमें समझना ही होगा और इस व्यवहार को मान भी देना होगा. कहना न होगा, इस साहित्य का हेतु बच्चे हैं और आज के बच्चे हैं.
सादर
नए वर्ष का
हर नवीन दिन
अमल-धवल यश
कीर्ति 'सलिल' दे.
माननीय सौरभ जी! आपके उत्साहवर्धन हेतु आभार. हिंदी में शिशु गीत कम ही हैं. अंगरेजी राइम्स से अलग हटकर कुछ रचने के इस प्रयास में सहभागी सभी पाठकों का तहे-दिल से आभारी हूँ. कमियाँ होना स्वाभाविक है. अंगरेजी भाषी तथा हिंदी भाषी स्कूलों के शिशुओं के शब्द भंडार तथा वातावरण में बहुत अंतर होता है. मेरा प्रयास उन्हें कुछ नए हिंदी शब्द देने के साथ परिवेश के प्रति जागरूक करना है. पाठकीय सुझावों के अनुसार परिवर्तन प्रकाशन के समय संभव हो सकता है. ओबीओ का पहला अधिकार है प्रकाशित करने का... मना होने पर अन्यत्र प्रयास होगा. अस्तु... आपकी बहुमूल्य नत से मार्ग दर्शन मिलता है.
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