भोजपुरी मेरे लिए कुछ कठिन है इसलिए कि मेरी भाषा कुछ ठेठ भोजपुरी से अलग है। जब से ओबीओ पर आया हूं कुछ इस भाषा से नजदीकी हुई है। आप सुधीजन इसे देखें और यह बताने का कष्ट करें कि इसमें क्या कमी रह गयी भाषा और शिल्प के स्तर पर, जिससे आगे सुधार कर सकूं।
छुट गयल बाबुल तोर अंगनवा
छूटल आपन ई देस रे
काहे का बिटिया भइल परायी
काहे दीजो परदेस रे
हम रहिन बाबुल बाग की चिरिया
जो फुदक फुदक उड़ि जाय रे
इत्ता नेहा रहिला रे माई
कइसन दीहुल बिसराय रे
माई क अंचरा भइल पराया
मोहे मिला अब बिदेस रे
छूटत बा ई निमिया की डारी
झूला रहिल अब त सून हो
सब संगी साथी भइल पराए
अंखिया भइल अब सून हो
कासे कहब अब पीर रे माई
के कढ़िहै मोरा केस रे
भइया के माथे ताज सजा रे
बिटिया त पराई जात बा
ई कवन नियम रचा रे बिधाता
नइहर ई छूटत जात बा
अब त न जाने कौन जनम माई
देखब आपन ई देस रे
- बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
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बृजेश भाई, भोजपुरी गीत पर नीमन परयास बा, राउर भाषा भोजपुरी ना ह एहसे कही कही समस्या बा, वोकरा बावजुद रचना निकहा बन गईल बिया, मजगर बधाई हमरा ओर से ।
आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार! आगे अपने भाषायी स्तर को सुधारने का मेरा प्रयास रहेगा। भाषायी स्तर पर कहां गलती हुई यह भी इंगित कर सकें तो बड़ी कृपा होगी।
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
आदरणीय श्याम जी आपका हार्दिक आभार!
बहुते भावुक आ मर्मस्पर्शी गीत होखेला बिदाई के गीत। ब्रिजेश भाई, राउर एह गीत में भाव के प्रचुरता बा, मर्म आ दर्द बा। मन भावुक हो गईल।
आदरणीय पाण्डेय जी ई प्रशंसा खातिर आप केर बहोत आभार! आपका ई गीत नीक लागल हमार मिहनत सफल हुइ गयल।
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