For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत : पड़े रहेंगे बंद कहीं पर शादी के गहने

घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा

तन मन पर पहने

पड़े रहेंगे बंद कहीं पर

शादी के गहने

 

चिल्लाते हैं गाजे बाजे

चीख रहे हैं बम

जेनरेटर करता है बक बक

नाच रही है रम

 

गली मुहल्ले मजबूरी में

लगे शोर सहने

 

सब को खुश रखने की खातिर

नींद चैन त्यागे

देहरी, आँगन, छत, कमरे सब

लगातार जागे

 

कौन रुकेगा दो दिन इनसे

सुख दुख की कहने

 

शालिग्राम जी सर पर बैठे

पैरों पड़ी महावर

दोनों ही उत्सव की शोभा

फिर क्यूँ इतना अंतर

 

मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से

दर्द लगा बहने

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 9, 2014 at 12:03am

बहुत बहुत शुक्रिया आशीष नैथानी 'सलिल' जी

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 8, 2014 at 11:58pm

कौन रुकेगा दो दिन इनसे

सुख दुख की कहने |

वाह सुन्दर गीत भाई धर्मेन्द्र जी |

  

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 8:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया रमेश कुमार चौहान साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 8:03pm

बहुत बहुत धन्यवाद  बृजेश नीरज जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 8:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया rajesh kumari जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 8:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया coontee mukerji जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 7:59pm

बहुत बहुत शुक्रिया गिरिराज भंडारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 7:59pm

आभारी हूँ अनिल कुमार 'अलीन' साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 7:58pm

बहुत बहुत शुक्रिया  annapurna bajpai जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 7, 2014 at 7:57pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कल्पना रामानी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
15 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
15 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
21 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
21 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service