For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लाल रंग"

शिवरात्रि को रौशनी शंकर जी के मंदिर में पूजा कर रही थी तभी उसे सूरज की आवाज सुनाई देती है

"रोशनी रुक जाओ मेरी बात तो सुनो"
"नहीं सूरज तुम नहीं जानते हमारे इस तरह मिलने ये समाज क्या क्या ताने मारेगा......।
"रोशनी किन तानो से डरती हो ....?
जो दर्द ,जो शापित जिंदगी तुम जी रही हो क्या इसकी ज़िम्मेदार तुम हो।"
"नहीं सूरज मैं विधवा हूँ मेरे ज़िन्दगी में रंगों की कोई जगह नहीं.....
"रौशनी बीस वर्ष की उम्र में वैध्वय..क्या जो समाज तुम्हारे जीवन से खुशियो के रंग छीन सकता है उसे तुम्हारी ज़िन्दगी में हरियाली लाने का कोई अधिकार नहीं.......?
रौशनी की आँखों से आसुवों की धाराये बह रहीं थी...वो सिसकते हुवे सूरज से कहती है"सूरज एक औरत दो कुलों की इज़्ज़त होती है और मैं अपनी ख़ुशी के लिये दो परिवारों के मुंह पर कालिक नहीं पोतना चाहती"

"बस रोशनी बस भगवान ने तुम्हें विधवा बनाकर सफ़ेद रंग दे दिया, तुम अपने जीवन में अँधेरा कर दोनों परिवारों के मुह पर कालिक नहीं पोतना चाहती ,आखिर इतनी क़ुरबानी क्यू....?

"तो क्या करूँ .......?अपनी बूढी माँ को जीते जी मार दूँ......अपने बूढ़े सास ससुर को इस उम्र में बेइज़्ज़ती के दल दल में धकेल दूँ ,कौन है जो मुझ विधवा से दोबारा शादी करेगा सूरज ये समाज एक स्त्री की इज़्ज़त से खेल कर उसे बदनाम तो कर सकता है पर किसी विधवा को सम्मान की ज़िन्दगी जीने की इज़ाज़त नहीं दे सकता।
सूरज रौशनी के नज़दीक जाकर "रोशनी इस दुनिया में कोई है,जो तुम्हारे जीवन के अँधेरे को मिटा कर तुम्हें लाल रंग से सजा देना चाहता है अगर तूम्हे मंज़ूर हो, तो मै तुम्हारी ज़िन्दगी में खुशियों के रंग भरने को तैयार हूँ रौशनी " रौशनी सूरज एक दूसरे को देखते रह जाते हैं

एक वर्ष के उपरांत रौशनी अपने पति व् एक माह के बेटे चिराग के साथ शिवरात्रि की पूजा करने सभी रंगों में सजकर आती

मौलिक अप्रकासित

अमित त्रिपाठी (आज़ाद)

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2016 at 10:20pm

आदरणीय अमित त्रिपाठी जी, इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई. सादर 

Comment by Amit Tripathi Azaad on February 6, 2016 at 10:38am
आदरणीय सतविंदर जी आपका बहुत बहुत आभार
Comment by Amit Tripathi Azaad on February 6, 2016 at 10:37am
आदरणीय सोरभ पाण्डेय जी आपका बहुत बहुत आभार उत्साह वर्धन हेतु तथा मार्गदर्शन हेतु
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2016 at 10:27pm
बहुत सुंदर प्रस्तुति हुई है।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2016 at 9:55pm

आदरणीय अमित त्रिपाठी आज़ाद जी, मैं संभवतः आपकी कोई पहली रचना पढ़ रहा हूँ. आपकी लघुकथा केलिए हार्दिक धन्यवाद व अशेष शुभकामनाएँ.  आपका इस पटल पर स्वागत है. 

साथ ही, एक सुझाव भी है. आप इसी ओबीओ केपटल पर लघुकथा विधा पर उपलब्ध साहित्य (आलेख आदि) पढ़ें. आपके सामने इस विधा को लेकर कई बातें खुलती जायेंगीं. 

शुभेच्छाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service