१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
फलनवा बन गइल मुखिया रङाइल गोड़ माथा ले [फलनवा - कोई ; रङाइल - रंगा हुआ ; गोड़ - पैर
बनल खेला बिगाड़े के.. चिलनवा ठाढ़ लाठा ले [चिलनवा - कोई, (संदर्भ-फलाना-चिलाना) ; ठाढ़ - खड़ा ; लाठा - बड़ी लाठी
बड़ा अउलाह झामा-झम भइल बरखा सनूखी में [अउलाह - अधिक ; सनूखी - सन्दुक
दलानी से चुल्हानी ले अशरफी लूटु छाता ले ! [दलानी - दालान, चुल्हानी - रसोईघर
सियासत के बगइचा में तनी मवका भेंटाए तऽ [बगइचा - बाग़ीचा ;
जे बकरी पात पऽ निखुराह.. ऊहे गाँछ ले खाले [निखुराह - आनाकानी करने वाला ; गाँछ - पेड़
भले कतनो पड़ऽ गोड़े निहुरि करि दऽ कमानी देहि [निहुरि - झुक कर ; देहि - देह
नजर में तूँ अगर नइखऽ गुनाहे बा रहल पाले [नइखऽ - नहीं हो ; गुनाहे बा - ग़ुनाह ही है
फजीरे रोज ऊ आसा-भरोसा में निकल जाला [फ़जीरे - सुबह
किरिन डूबत पलट जाला पिराते देहि-माथा ले [किरिन डूबत - साँझ होते ; पिराते - बुरी तरह पीड़ा में
चलन आखिर भला काहें रहल संसार के, कहियो - [काहें - क्यों ; रहल - रहा है/रही है ; कहियो - कभी
बथाने नेह पोसल गाय पगहा तूरि चल जाले [बथाने - गाय आदि का स्थान ; पोसल - पाली हुई ; पगहा - डोर ;
बुझा जाला तुरंते भाव ’सौरभ’ बाप के का हऽ [बुझा जाला - मालूम हो जाता है
जबे बेटी फुदुकते आ.. सटावे गाल से गाले [फुदुकते - उछलती-किलकती ; सटावे - सटाती है ; गाले - गाल को
*******************
-सौरभ
Tags:
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर |
इस प्रस्तुति को अपना अनुमोदन देने केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी
बुझा जाला तुरंते भाव.......जैसे बेटी फुदकते आ सटावे गाल से गाले। बहुत सुन्दर ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |