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सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ८

इस बार महा उत्सव का विषय है "रिश्ते"

आयोजन की अवधि :- ८ जून बुधवार से १० जून शुक्रवार तक

महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...

विधाएँ
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस ८ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ०८ जून लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ०८ जून से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

मंच संचालक

धर्मेन्द्र कुमार सिंह

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Replies to This Discussion

 मेरी करबद्ध प्रार्थना है भाईजी
//मगर क्यूँ है यह सृष्टि ऐसी
क्यूँ पैदा करता है आकर्षण
ईश्वर उनके बीच
जो कभी मिल नहीं सकते
और अगर कभी मिल भी गए
तो दोनों ही नष्ट हो जाते हैं//

आदरणीय धर्मेन्द्र जी ! आपने तो वैज्ञानिक बिम्बों का सहारा लेकर सम्पूर्ण सत्य को ही उजागर कर दिया ...........आपके इस कौशल को नमन करता हूँ ........कृपया हृदय से बधाई स्वीकारें ......:))
बहुत बहुत शुक्रिया अम्बरीष जी।
स्वागत है मित्र !

भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत ही वैज्ञानिक मसाला डाला है आपने इस रचना में. मेरे जैसे कला विषय के स्नातक के लिए ये मात्र एक रचना नहीं एक विज्ञान की परिभाषा की कुंजी भी है. बधाई स्वीकार करें.
रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद धरम जी।
बहुत खूब धर्मेन्द्र भाई, आप ने इलेक्ट्रोनिक्स रिश्ते पर बखूबी कलम चलाई है , बधाई आपको इस शानदार अभिव्यक्ति पर |
शुक्रिया बागी जी।

लेकिन हम बंध गये इन नन्हें नन्हें इन पाईयानों के कारण।

 बहुत ख़ूब।

सच्चे रिश्ते में रहे, अपनापन ही पास.
धड़कन जोड़े रूह से, जुड़े साँस से साँस.
जुड़े साँस से साँस, जहाँ हो दिल से नाता.
समझे मन की बात, वही दिल को अपनाता.
अम्बरीष यह सत्य, बड़े ही धागे कच्चे.
जुड़ता जब विश्वास तभी हों साथी सच्चे..
--अम्बरीष श्रीवास्तव
आदरणीया वंदना जी! यह कुण्डली आपको पसंद आयी..... इस निमित्त हृदय से आपका आभार मित्र ! :))

//जुड़ता जब विश्वास तभी हों साथी सच्चे..//

और आपने सारा कुछ बयाँ कर दिया. बहुत खूब.    ..भाई अम्बरीषजी बधाई स्वीकारें.

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