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डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Discussions (3,041)

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"चूहों की जब दुश्मन है तो,क्यों मौसी कहलाती बिल्ली।-----------------इसकी खोज होनी चाह…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आआ० सुंदर हाइकू"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ज़िक्र बच्चों का ही सिर्फ़ जिस में मिले वो ही कहलाएगा बाल  साहित्य का |-------------…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बाल मन से चन्दा मामा का अभिन्न रिश्ता है उसे आपके शब्दों ने नई  दिशा प्रदान की आदरणीय"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बाल मन से चन्दा मामा का अभिन्न रिश्ता है उसे आपके शब्दों ने नई  स्फूर्ति प्रदान की आ…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"  मै सुनाने लगता हूँ एक नई कहानी बाल साहित्य के खजाने से और साफ होने लगता है मकड़जाल…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत ही  बढ़िया , उत्कृष्ट रचना आदरणीया  "

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जाने   कैसे  लटके  तारे, किसे  पकड़  बैठे हैं सारे। तेज  हवाएं  चलती हैं  पर, कभी नह…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आआ० आरिफ जी , बहुत  बढ़िया कटाक्ष किया आपने"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आआ० प्रभा जी , आपका सादर आभार ."

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Nov 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

413 Nov 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
yesterday
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
yesterday

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