For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रदीप नील वसिष्ठ's Discussions (274)

Discussions Replied To (273) Replies Latest Activity

"किसी नारी के मन का दर्द कोई नारी ही समझ सकती है , आपने समझा डा साहिबा। अंतिम पंक्ति…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"बहुत सुंदर प्रस्तुति ,जानकी जी। गले पड़ा ढोल बजाने की बजाए नीरज उस पर चोट कर रहा है ,…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"कोई रंग बचा ही नहीं जैन साहब जो आपकी कथा में न आया हो। कुछ अशुद्धियाँ मुद्रण में हैं…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"आपने वह रंग पकड़ा सुधीर भाई जो आज चूहा-दौड़ में सबसे ज्यादा उपेक्षित है। काश ! कुछ माँ…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"लेकिन तुम .....!"मात्र दो शब्दों में कितना बड़ा धिक्कार छुपा है, उस्मानी जी। यह लेखक…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"मूर्त भी अमूर्त हो उठा आपकी रचना में जोशी जी। किले ने जाने कितने रंग देखे और बदले मग…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"वाह , रवि जी। अनोखे शीर्षक और प्रतीकात्मक कथ्य बुना आपने। लघुकथा की थीम वह शाश्वत सं…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"अद्भुत ,नीता जी। कटी पतंग को लुटने से बचाने का आइडिया। समाज के ढकोसलों पर प्रहार लेख…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"बहुत बढ़िया थीम आपने उठाई , नयना जी। मासूमियत के रंग का बेहतर चित्रण आपने किया। अंतिम…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

"आप लघुकथा विधा पर हाथ आज़मा रहे हैं , देख कर भला लग रहा है ,आदरणीय। बहुत कम शब्दों के…"

प्रदीप नील वसिष्ठ replied Jan 30, 2016 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-10 (विषय: रंग)

1352 Feb 1, 2016
Reply by rajesh kumari

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब,'नूर' साहब, सुन्दर  रचना है, मगर 'ग़ज़ल ' फार्मेट में…"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
yesterday
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service