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गिरिराज भंडारी's Discussions (4,656)

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"छोटा सा एक दीप चला आँधियों के घर  सरगोशियाँ हवा में कि नादान तो गया दीवार दर हमारे स…"

गिरिराज भंडारी replied Mar 27, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-57

709 Mar 29, 2015
Reply by Saurabh Pandey

"फ़ित्रत ख़ुदाया तेरी मैं पहचान तो गया अब आँधियों का वक़्त है , तूफ़ान तो गया   मात्रायें…"

गिरिराज भंडारी replied Mar 27, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-57

709 Mar 29, 2015
Reply by Saurabh Pandey

"आदरणीय समर कबीर भाई , आपकी गज़ल इस महीने की सर्वश्रेष्ट रचना हुनी गई है , आपको हार्दि…"

गिरिराज भंडारी replied Mar 16, 2015 to रचनाओं को सम्मानित करने की एक अनूठी पहल @ महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month )

871 Oct 14, 2023
Reply by rohit mitro

"आदरणीय गुमनाम भाई , इस महीने सक्रिय सदस्य चुने जाने के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।"

गिरिराज भंडारी replied Mar 16, 2015 to एक घोषणा:-महीने का सक्रिय सदस्य (Active Member of the Month)

1065 Dec 3, 2016
Reply by सुरेश कुमार 'कल्याण'

प्रधान संपादक

"जो सीखा वो आपसे , मै तो था नादान  मेरे सौरभ भाइ जी , मुझको न दें मान  "

गिरिराज भंडारी replied Mar 7, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" (होली स्पेशल) अंक-53

1413 Mar 7, 2015
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"उमर बड़ी, अनुभव बड़ा, इस से क्या इनकार  अगर तबीयत है नरम, कर दूँगा उपचार  "

गिरिराज भंडारी replied Mar 7, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" (होली स्पेशल) अंक-53

1413 Mar 7, 2015
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"ओ मेरे मिथिलेशा भाऊ , तुम निकले सब ही के ताऊ  मै तो ऐसा ना लिख पाऊँ , जी करता है इसे…"

गिरिराज भंडारी replied Mar 7, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" (होली स्पेशल) अंक-53

1413 Mar 7, 2015
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"आज की अंतिम रचना ********************** पड़े हुये कचरे के  जैसे  , हम  तो थे बदरंगी स…"

गिरिराज भंडारी replied Mar 6, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" (होली स्पेशल) अंक-53

1413 Mar 7, 2015
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"योगिन के झाड़ू से डर के , कब तक टंगे रहोगे नीचे आके साथ रहोगे , बेहद मज़े करोगे"

गिरिराज भंडारी replied Mar 6, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" (होली स्पेशल) अंक-53

1413 Mar 7, 2015
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"छन्न पकैया-छन्न पकैया , मूछें तो मुडवाते और हाथ मे दारू की एक बाटल भी दे जाते कंजूसो…"

गिरिराज भंडारी replied Mar 6, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" (होली स्पेशल) अंक-53

1413 Mar 7, 2015
Reply by Saurabh Pandey

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