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Er. Ambarish Srivastava's Discussions (6,307)

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"स्वागत है आदरणीय मापतपुरी जी ! ग़ज़ल की तारीफ करने के लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया  !"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//न नयनों से नयन मिलते न मन-मंदिर बना लेते. न पग से पग मिलाते हम न दिल शायर बना लेत…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//जो रिश्तों को बचाते ज़िन्दगी बेहतर बना लेते ये मेहनत गाँव में करते तो अपना घर बना…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय आचार्य जी ! इस ग़ज़ल की सराहना  हेतु आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ......…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय सौरभ जी ! इस जोरदार अंदाज़ में इस ग़ज़ल की तारीफ करने के लिए आपका तहे दिल से श…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"अहम् को छोड़ आयें हम तभी इज्जत दें औरों को, अगर यह है नहीं बस में तो क्यों फायर बना ल…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//असल रोटी मकां कपड़ा गरज इन्सान की तो है   अगर ज्यादा न भी होता गुजारे भर बना लेते//…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//भला कैसे कहें कि याद अब आते नहीं हैं वो. अगर ये हाथ में होता तो दिल पत्थर बना लेते…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//ये मेहनत गाँव में करते तो अपना घर बना लेते  या  बूढ़े बाप की लाठी को , ताकतवर बना ल…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//जहाँ का हाल थोड़ा और भी बहतर बना लेते अगर इंसानियत का इक यहाँ मन्दर बना लेते// आज…"

Er. Ambarish Srivastava replied Nov 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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