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जयनित कुमार मेहता's Discussions (450)

Discussions Replied To (431) Replies Latest Activity

"ग़ज़ब! यथार्थ को ग़ज़ल में पिरो के रख दिया आपने, बधाई.."

जयनित कुमार मेहता replied Nov 27, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"आदरणीय समर कबीर साहब, कुछ कह नहीं सकता आपकी इस ग़ज़ल पे, छोटा मुँह-बड़ी बात हो जायेगी!!…"

जयनित कुमार मेहता replied Nov 27, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही आपने, आ. मिथिलेश जी! और गिरह तो क्या कमाल की लगाए हैं.. :-)"

जयनित कुमार मेहता replied Nov 27, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

"लाख तीरथ करो,या पूज के पत्थर देखो.. न मिलेगा रब, अगर दिल के न भीतर देखो.. रंग लाती…"

जयनित कुमार मेहता replied Nov 27, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-65

555 Nov 28, 2015
Reply by योगराज प्रभाकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"आदरणीय संचालक महोदय, इस मुशायरे में मैंने भी भाग लिया था, परंतु प्रस्तुत संकलन में म…"

जयनित कुमार मेहता replied Nov 19, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 63 में सम्मिलित सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

8 Jan 25, 2016
Reply by Rana Pratap Singh

"आँखों में बसे सपने गर अपने नहीं होते टूटे से गए नैना भर अपने नहीं होते ये दोष हमारा…"

जयनित कुमार मेहता replied Oct 24, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"गुणीजन बताने का कष्ट करें कि क्या इस आयोजन में बिना मतले की ग़ज़ल मान्य होगी..?"

जयनित कुमार मेहता replied Oct 24, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64

534 Oct 25, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"(अतुकांत कविता) ___________ हर “आम” के दिल में दबी होती है कहीं “ख़ास” होने की चाह इ…"

जयनित कुमार मेहता replied Oct 10, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"ओबीओ तरही मुशायरा,अंक-63 की रचनाओं का संकलन कब तक उपलब्ध होगा..?"

जयनित कुमार मेहता replied Sep 30, 2015 to "OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे पूछताछ

214 Jan 23, 2021
Reply by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

"बिना तेरे तो मुझे ज़िन्दगी सज़ा ही लगे हो इक चिराग सदा जो बुझा-बुझा ही लगे - मरीज़ इश्क़…"

जयनित कुमार मेहता replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

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