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बसंत कुमार शर्मा's Discussions (7)

Discussions Replied To (7) Replies Latest Activity

"रचना प्रदत्त विषयाधारित न होने के कारण आयोजन से हटा दी गई है. (मंच संचालक) (२) गले…"

बसंत कुमार शर्मा replied May 30, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-26 (विषय:सबक़)

579 May 31, 2017
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"जी आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,  कर दिया है "

बसंत कुमार शर्मा replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी, हौसला बढाने के लिए ह्रदय से आभार आपका "

बसंत कुमार शर्मा replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय satish mapatpuri  जी, हौसला बढाने के लिए ह्रदय से आभार आपका "

बसंत कुमार शर्मा replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय Brajendra Nath Mishra जी, हौसला बढाने के लिए ह्रदय से आभार आपका "

बसंत कुमार शर्मा replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत सुंदर ,भावाभियक्ति "

बसंत कुमार शर्मा replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"दोहे बया बनाती  घोंसला, काँटों का है गाँव अद्भुत पेड़ बबूल का, देता उसको छाँव   पाल र…"

बसंत कुमार शर्मा replied May 12, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-79

483 May 13, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
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"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
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"सुविचारित सुंदर आलेख "
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Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
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अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
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