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गंगा पुर
महेश लाठी लेके दाऊरत जात रहलन ता उनके मोहन टोकले कहा जात बार हो महेश उ
दाऊरते दाऊरते कहले की मुखिया जी के खेत गंगावा के लाईका जोते बोये नइखन
सन देत मोहन कहलन ओकनी के इ मजाल चला हमू चालत बनी और उ अगो फरसा उठा के चल देहले जे सुनालास उहे कुछ न कुछ लेके दौर गइल जब उहा पहुचल लोग ता देखत बा
लोग की मुखिया जी के बरका बेटा ड्राईवर के हटा के खुद टेक्टर पर बैठे जात बारान टेल गंगा के बेटा लाठी लेके सामने खरा हो जात बा तब मुखिया जी कहलन तहरा घर के लगे हमर खेत बा आकार मतलब इ न नु की तू हमारा खेत में गाय भैस बांध बा ता गंगा के बेटा बोलालाख मुखिया जी राऊआ तिन साल से इ खेत जोतात बोआत नईखी फिर अब हमर गोरु कहा भंधैहन सन ता मुखिया जी कहानी ता हम का करी हम आपण खेत जोतेम ता उ कहलस मुखिया जी राऊरा मालूमे बा हमर भाई थाना में दफ दार बा और हम केश का देम ता उल्टा में राऊआ परेसान हो जायेम हमर बात मानी २०००० में इ खेत हम के दे दी मुखिया जी के बोले के पाहिले दुखहरण राम बोलले तू पगला गइल बार का हो यादव जी इ बिसे हजार के खेत बा , ता उ कहलस आज तक जुत्ते बन के रहला लोग आज हमनी के दिन बा फायदा उठावा तब मुखिया जी के बेटा बोलले अब तू हमर खेत छोर के हट जा न ता बार के इआही पाट देम बाबु जी राऊआ जाई ता लत के देवता बात से न माने गाव से खेदाइल अब बधार से भी इ जाई , येताना सुनला के बाद उ चिल्लाइल ओकरा घर के औरत बच्चा लाठी डंडा ले के आ गैलन सन अब येनियो से करीब बीस पचीस आदमी आ गइल रहे लोग महेश आव देखले न तव ओकरा ऊपर लाठी चला देले और पूरा गाँव टूट परल देखते देखते ओकर पूरा परिवार लहू लुहान मुखिया जी कोशिश का के ओकनी के बचावालन और ओह दिन कम बंद हो गइल ओकरा घर के लोग थाना चल गइल थाना में ओकर भाई ढाफदार बा दरोगा बाबु ओकर केश बना देले और जब गाँव में आइले ता उनके पता चलल की माजरा का बा ता उ ओ
केश के आगे न बढ़ावे के चहले बाकिर एगो दुगो छुट भैया नेता के आपन जाती के बेइजती लागल उनके इ न लउकल की की उनकर जाती के एगो आदमी गलत कम करत रहल हा उ
ऊपर पय्रबी कर के केस आगे बढवा देहलस होली के दू दिन पाहिले गाव से बीस पचीश आदमी के पाकर के पुलिस ले गइल होली के एक दिन पाहिले जमानत हो गइल सब
कोई गावत बजावत गावे आइल उ खेत बोआइल बाकिर गंगा के लाईका पिटैला के बाद
गंगापुर के ओ खेत पर फिर न दिखाई देहलस , हमारा इ समझ में अभी आइल हा की
आपस में लड़े वाला बाबा जी लोग ओह दिन कईसे एक जुट हो गइल लोग भाई इह जाती
बाद काम आइल रहे जैसे ओकर केश के आगे बढ़ावे में आइल रहे , रुआ लोग से
निहोरा बा आपन राज्य के आगे बढ़ावे के बा ता जाती बाद के छोर के समाज
बाद आपन लोग ,

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हमारा इ समझ में अभी आइल हा की
आपस में लड़े वाला बाबा जी लोग ओह दिन कईसे एक जुट हो गइल लोग भाई इह जाती
बाद काम आइल रहे जैसे ओकर केश के आगे बढ़ावे में आइल रहे , रुआ लोग से
निहोरा बा आपन राज्य के आगे बढ़ावे के बा ता जाती बाद के छोर के समाज
Guru jee rauwa bahut hi sahi kahani likhaley baani, samaaj mey bahut log ba jey aek dosara key lada key tamasa dekhey la par agar vivek sey na kaam lihal jaai ta wohey kahani charitaarth hoi ki "Ghar tutey Gawar lutey"
Bahut shikshaprad kahani ba guru jee dhanyabad trauwa key.

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