For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मलिक मुहम्मद जायसी  के जीवन वृत्त पर लिखे गए ऐतिहासिक उपन्यास 'पंडितन केर पछलगा' के लोकार्पण पर संदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट    प्रस्तुति- डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव

कैफी आज़मी एकेडमी., लखनऊ में  दिनांक 21-7-2019 दिन रविवार को सम्पन्न हुए समारोह में लोकार्पण के पश्चात लेखकीय वक्तव्य देते हुए डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव ने अपने उपन्यास की सृजन प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष की अवस्था में उन्होंने पद्मावत को पढ़ा था। शुरुआती दौर में उनके ऊपर जायसी की भाषा का आतंक छाया रहा। जायसी की जीवनी पढ़ते समय तमाम और रोचक जानकारियां प्राप्त हुईं जिनके फलस्वरूप यह उपन्यास लिखा गया। उपन्यास के कुछ रोचक हिस्सों का उन्होंने पाठ भी किया।

पहले पाठक के तौर पर आलोचक प्रताप दीक्षित ने कहा कि जीवनी परक उपन्यासों में लेखक का अंतर्द्वंद उसे कथा से अलग करता है। इस उपन्यास को उन्होंने जायसी की जीवनी पर पहला उपन्यास बताया। उन्होंने कहा कि जीवन की समग्र वास्तविकताओं को यहाँ लेखक ने दर्शाया है। यहाँ  लेखक ने जायसी के माध्यम से श्रम को प्रतिष्ठित किया है। उपन्यास में सूफीवाद का अधिक वर्णन किया गया है। लेखक ने गंभीरता से श्रम के साथ लिखा हैI

कवयित्री सीमा सिंह ने कहा कि उपन्यास में तारतम्यता की थोड़ी कमी आती है। पूर्व पीठिका के रूप में जायसी के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है। मुहावरों का सार्थक प्रयोग कथा को रोचक बनाता है।

कवयित्री शालिनी सिंह ने जायसी के जीवन का संपूर्ण वृतांत उपन्यास को वृहद बनने का कारण बताया। गोपाल जी का लेखन बहुत ही शोध परक है। उन्होंने उपन्यास के रोचक अंशो का पाठ किया। उपन्यास के आखिरी समय में उसके रोचक होने पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। यह भी कहा कि योग वाले अध्याय में विस्तार अधिक  है।

आलोचक नलिन रंजन सिंह ने इस उपन्यास को सान्दर्भिक, आंचलिक, जीवनीपरक और ऐतिहासिक उपन्यास के गुम्फन के रूप में व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि संदर्भों में लेखक की श्रद्धा भरपूर है। गोपाल नारायण जी अ विस्तार मोह से नहीं बच सके हैं। कुछ प्रसंगों मसलन योग, अघोर पंथ और स्वप्नों द्वारा उपन्यास को वृहद बनाया गया है। गोपाल जी अनसंग हीरो (UNSUNG HERO) हैं। संदर्भों की मिथकीयता और स्थानीयता को ज्यादा विस्तार आवश्यक नही  था। नशे का विरोध उपन्यास में किया गया है जो अच्छी बात है।

आलोचक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि किंवदंतियों को कथा का आधार बनाया गया है। ग्रियर्सन के पूर्व और जायसी के बाद जायसी का जिक्र बहुत कम होता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने त्रिवेणी लिखकर जायसी के महत्व को स्थापित किया। जायसी को कवि के रूप में पढ़ा जाना चाहिए न कि सूफी के रूप में। इस उपन्यास में सूफी सिद्धांत की बहुत अच्छी चर्चा है । जायसी को भक्त के रूप में अधिक चित्रित किया गया है कवि के रूप में कम

कथाकार अनुवादक शकील सिद्दीकी ने कहा कि जायसी की कविता और उनके सूफीवाद को अलग करके नहीं देखा जा सकता। अब मजारें एक धंधा बन गई हैं लेकिन जायसी के समय में गरीब जनता का मजारों के प्रति आकर्षण बहुत अधिक था। उन्हें वहां सम्मान भी दिया जाता था। उपन्यास में काव्यांश अधिक हैं। प्रेम, समन्वय और सद्भावना ही इस उपन्यास का देय है।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि एक साधारण पाठक के लिए यह उपन्यास महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक विषयों पर लिखना बहुत चुनौती भरा होता है। । यदि इस उपन्यास में देशज आधुनिकता को अपनाया गया होता तो और अच्छा बन पड़ता। यह उपन्यास जायसी को अलग ढंग से प्रस्तुत करता है। लेखक ने उपन्यास लिखने में बहुत श्रम किया है।

कार्यक्रम में नरेश सक्सेना, देवेंद्र, सुभाष राय, अरुण सिंह, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. शरदिंदु मुखर्जी,  भूपेन्द्र सिंह, आलो रावत ’आहत लखनवी,  मृगांक श्रीवास्तव , डॉ. अंजना मुखोपाध्याय ‘निर्मला सिंह, अफीफ, राजा सिंह, तनु प्रिया सिंह, शिवम गर्ग, बृजेश, प्रिया, प्रीति सिंह, प्रिया सिंह, आशीष कुमार सिंह और पुस्तक के प्रकाशक समेत भारी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

 

 (मौलिक/अप्रकाशित )

Views: 663

Attachments:

Reply to This

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service