Tags:
Replies are closed for this discussion.
आभार सर।
आदाब। बहुत सुंदर दिलचस्प ट्विस्टेड कथनोपकथन के साथ हमारे सामाजिक परिदृश्य पर तंज करते हुएबरमा जैसे सच्चे व भोले सामाजिक अंग की स्थिति व परिस्थितियों को शाब्दिक करते हुए दलित विमर्श पर करारे सार्थक व विचारोत्तेजक जवाबों सहित बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया दिव्या राकेश शर्मा जी। इस तरह की रचनाओं की आवश्यकता है सामाजिक समानता के बीज अंकुरित कराने हेतु।
आभार सर।
आदरणीया दिव्या जी! लघुकथा के ब्याज आपने बहुत कुछ कहने की कोशिश की है।सफलता भी मिली है आपको।पर,आज दलित या पिछड़ा होना पछतावे का सबब नहीं रह गया है;बल्कि यह तो अब साख और धाक का पर्याय बन चला है।खैर, विमर्श की मानिंद ये सब मुद्दे अब भी शीर्षक बने हुए हैं।लघुकथा हेतु आपको बधाई।
आभार सर।
बिल्कुल नए विषय पर प्रभावशाली लघुकथा कही है दिव्या शर्मा जी, बधाई प्रेषित है।
आभार सर।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
     
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |