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हार्दिक आभार आदरणीय कांता रॉय जी !
बहुत बढ़िया ,बहुत पुरानी समस्या परन्तु आज भी यथावत... // यदि मुझे अपने पिता की दी हुई चीजों मे ही सुख भोगना है तो मै पिताजी के घर ही खुश हूं // कथा का ही नहीं जीवन का भी मर्म समेटे इस पंक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई आ० तेजवीर जी..
हार्दिक आभार आदरणीय सीमा सिंह जी !
हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!
हार्दिक आभार आदरणीय रश्मि जी !
अच्छी और संदेशपरक लघुकथा हुई है आ० तेजवीर सिंह जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें !
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी!आपको कितनी ही बार आभार कहते रहें फ़िर भी आपके प्रति कभी भी हम आभार मुक्त नहीं हो पायेंगे!अपनी कृपा दृष्टि और आशीर्वाद सदैव बनाये रखें!
हार्दिक आभार आदरणीय शशि जी!
आदरणीय तेजवीर जी लालचियों पर व्यंग्य करती बढ़िया लघुकथा हुई है आपको हार्दिक बधाई
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