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अंतर्व्यथा
मैं पानी की एक बूंद हूं। समंदर के अंदर के उथल - पुथल,कोलाहल और ताप से उत्तप्त हो उठते भाव - भाप के संघनित होने से मैं नभ में सृजित हुई।फिर प्यासी -झुलसती धरती की प्यास बुझाने की कामना मुझमें जागृत हुई।सोचा,किसी मरते को जीवन देकर क्यों न खुद भी धन्य हो जाऊं?
हवाओं की और अधिक शीतलता से मैं वजनी होती गई।ऊपर से दिलासा कि धरा तक ले जाई जाऊंगी। खुशफहमी में मैं हवाओं संग हिलती -डुलती रही।नीचे आती रही।अब हवायें बवंडर- सी होती गईं।मुझे थपेड़े लगने लगे। संभलने की कोशिश की,पर संभल न सकी।फिर से मैं समंदर के हवाले हो गई।उसमें धकेल दी गई।हवाएं फुर्र हो गईं। सोचती हूं,पुनः भाव -भाप बनूं,तो ऊपर उठूं।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
विषय से हटकर किन्तु अगीत काव्य सा लगी , प्रस्तुति !
लघुकथा गोष्ठी का आज अंतिम दिन उम्मीदों से पूर्ण है।लघुकथाएं आयेंगी,लेखक बन्धु भी आयेंगे।
कथ्य में उलझी हुई है, लघुकथा । पिता की उलझन अथवा ऊहापोह भी निरर्थक प्रतीत हुई ।
बाई डिफाल्ट
कालेज के तीन पहलवान-- बलवान सिंह, हरकेश और दिनेश कुमार विश्विद्यालय की टीम में थे । तीनों हेवी वेट वर्ग ( नब्बे किलो) के पहलवान थे। कालेज कोच डाँगे साहब को अपने तीनों पहलवानों पर गर्व था । लेकिन उन्हें बलवान सिंह बहुत प्रिय था ! अन्तरविश्वविद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता में तो एक ही पहलवान जा सकता था । सो उन्हें विश्वविद्यालय कोच की राय माननी पड़ी। अब तीनों पहलवानों को आपस में कुश्ती कराकर सर्वश्रेष्ठ का चयन करना था । डाँगे साहब ने पहलवानों को सूचित किया कि शाम छह बजे उनको चयन हेतु कालेज अखाड़े पर पहुँचना था । उन्होंने हरकेश और दिनेश कुमार पहलवान को चयनित पहलवान हेतु बाजार से किट का प्रबंध करने और दोपहर का खाना बाजार में ही खाकर शाम को समय से चयन हेतु कालेज के अखाड़े पर उपलब्ध होने का निर्देश दिया और दो हजार का नोट हरकेश पहलवान को आवश्यक प्रबंध हेतु पकड़ा दिया। दोनों पहलवानों को बाँछें खिल गईं। ग्रामीण पृष्ठभूमि के दोनों पहलवान मिठाई, केले, चीकू और मन पसंद दोपहर का भोजन कर और सस्ती सी किट लेकर ऊँघते-सुस्ताते बड़ी मुश्किल से साढ़े छह बजे कालेज अखाड़े पर पहुँचे।
डाँगे साहब तो पहले से ही तैयार थे । उन्होंने दोनों का वजन कराया जो नब्बे किलोग्राम से काफी अधिक था । अत: उनका पहलवान बलवान सिंह ही सही वजन का निकला। और, वही अन्तरविश्वविद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता ही चुन लिया गया।
मौलिक व अप्रकाशित
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