For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा- अंक 34(Now Closed with 754 replies)

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 34 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. इस बार का तरही मिसरा जनाब अनवर मिर्ज़ापुरी की बहुत ही मकबूल गज़ल से लिया गया है. इस गज़ल को कई महान गायकों ने अपनी आवाज से नवाजा है, पर मुझे मुन्नी बेगम की आवाज़ में सबसे ज्यादा पसंद है . आप भी कहीं न कहीं से ढूंढ कर ज़रूर सुनें.

पेश है मिसरा-ए-तरह...

"न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाये "

1121 2122 1121 2122

फइलातु फाइलातुन फइलातु फाइलातुन

(बह्र: रमल मुसम्मन मशकूल)
 
रदीफ़     :- न जाये
काफिया :- अल (ढल, चल, जल, निकल, संभल आदि)
मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 अप्रैल दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 29 अप्रैल दिन सोमवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  27 अप्रैल दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 14033

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ0  रक्ताले सर जी,  जी आपने बिलकुल सही फरमाया।  टेढ़ी-टेढ़ी तो है  लेकिन खीर बिलकुल नहीं है। सर जी अभी तो किनारे पर ही उतरा रहा हूं।  अवसर की ताक में हूं कि कोई कश्ती मिल जाए।  आपका  तहेदिल से शुक्रिया।  सादर,

खूबसूरत गजल केवल प्रसाद जी! बधाई।

आ0  विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी जी,  आपका  तहेदिल से शुक्रिया।  सादर,

आदरणीय गुरुजनों, अग्रजों, मित्रों एवं प्रिय पाठकों आप सभी को विन्रम प्रणाम "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 34 वें में प्रस्तुत है मेरी पहली ग़ज़ल. 

चलो साथ मेरे हमदम नज़ारा बदल न जाये,
जवानी ये रेत जैसी जानेमन फिसल न जाये,

तेरे हुस्न का नशा है मेरी जान, जानलेवा,

तुझे देख मेरा दिल ये सीने से निकल न जाये,

एक दूजे से मिलन की बेला सालो बाद आई,
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाये


नहीं फेंक कोई पत्थर बुराई में तू उठाकर,

भरोसा नहीं तुझी पे ये कीचड उछल न जाये,

सभी के घरों में इक बस यही बात चल रही है,
कोई धूर्त अपनी फिर से कहीं चाल चल न जाये....

sundar .....gajal ..antim dono sher bahut acche lage


नहीं फेंक कोई पत्थर बुराई में तू उठाकर,

भरोसा नहीं तुझी पे ये कीचड उछल न जाये,

सभी के घरों में इक बस यही बात चल रही है,
कोई धूर्त अपनी फिर से कहीं चाल चल न जाये......................badhai

हार्दिक आभार आदरणीया शशि पुरवार जी.

प्रिय अरुण जी, अच्छी ग़ज़ल कही है, ख्याल बढ़िया है, आपकी ग़ज़ल पढ़ एक प्रश्न कुलबुलाने लगा । 

क्या सभी प्रकार के दीर्घ वर्ण को छुट लेकर लघु में बाधा जा सकता है जैसे ....नज़ारा (112), सीने (11),  बेला (11), बुराई (112), भरोसा (112), 

कृपया जानकार बंधू प्रकाश डालना चाहेंगे । 

इस प्रस्तुति पर बधाई । 

आदरणीय भ्राताश्री सादर प्रणाम, आपका प्रश्न बहुत ही सुन्दर एवं उचित है. सच कहूँ इस तथ्य को जानने हेतु मैं स्वयं इच्छुक था इस हेतु ही मैंने वर्ण यहाँ इस्तेमाल किये हैं, इस बहाने ग़ज़ल की ग़ज़ल हो जाएगी, मेरी संशय भी दूर हो जाएगी और ज्ञान की प्राप्ति भी होगी. क्षमा भ्राताश्री मैं अनभिज्ञ हूँ यदि आप कुछ बता सकते हैं तो बड़ी कृपा होगी. सादर

//सच कहूँ इस तथ्य को जानने हेतु मैं स्वयं इच्छुक था इस हेतु ही मैंने वर्ण यहाँ इस्तेमाल किये हैं, इस बहाने ग़ज़ल की ग़ज़ल हो जाएगी, मेरा संशय भी दूर हो जाएगा और ज्ञान की प्राप्ति भी होगी.//

भाई अरुण अनन्तजी,   आपका यह अत्यंत सार्थक प्रयास हुआ है. आपका यह प्रयास आयोजन के स्तर को तो व्यापक करेगा ही, सदस्यों को स्वाध्याय हेतु अभिप्रेरित भी करेगा..

इस सकारात्मक सोच के लिए मैं पुनः आपको शुभकामनाएँ देता हूँ  .. .

आदरणीय गुरुदेव श्री आपका यही अपार स्नेह ही ऑफिस में व्यस्तता होने बावजूद यहाँ तक खींच लाता है. सच कहूँ तो परम आनंद की प्राप्ति यहीं इसी मंच पर होती है. आशीष यूँ ही बनाये रखिये गुरुदेव श्री.

हम समवेत सीखें, भाई.. .

जैसे, हम पाँच लोग जानते हुए एक-एक विन्दु परस्पर साझा और सिखा कर स्वयं अन्य चार विन्दु सीख कर पाँच की जानकारी कर लेते हैं. .. बस यही बना रहे.

आदरणीय सौरभ भईया एकदम से सहमत हूँ । 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
9 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
33 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करतीब हुत बढ़िया दोहावली की प्रस्तुति। इस…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आपने पर्यावरण के विभिन्न आयामों को सम्मिलित करते हुए एक बढ़िया प्रस्तुति दी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय पर बढ़िया कुंडलिया छंद हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। इस प्रस्तुति…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service