For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोस्तो, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार आप सभी के स्नेह के लिए सदा अभारी है | "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-1 को मिली अपार ऐतिहासिक सफलता ( दर्जनों रचनाकारों की अनवरत २०० से अधिक रचनाओं सहित १२००+ रिप्लाई ) से हम सब अभी भी अभिभूत हैं | हमारे सभी प्रिय रचनाधर्मियों के सहयोग और पाठकों के उत्साह वर्धन से ही यह संभव हो सका था, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार आप सभी का ह्रदय से अभारी रहेगा|

जैसा कि अब आप सभी जान चुके हैं कि ओपन बुक्स ऑनलाइन साहित्य को समर्पित एक ऐसा मंच है जहाँ हर विधा के फ़नकार अपनी अपनी विधा में अपने अपने हिसाब से शिरकत करते हैं|

तो दोस्तों, प्रस्तुत है ओपन बुक्स ऑनलाइन का एक और धमाका "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-2

इस महा इवेंट में आप सभी को दिए गये विषय को लक्ष्य करते हुए अपनी अपनी रचनाएँ पोस्ट करनी हैं | वो रचनायें ग़ज़ल, गीत, कविता, छंद, मुक्तक, हाइकु, लघुकथा, पद, रसिया, व्यंग्य या कुछ और भी हो सकती है | आप सभी से सविनय निवेदन है कि सर्व ज्ञात अनुशासन बनाए रखते हुए अपनी अपनी कला से दूसरों को रु-ब-रु होने का मौका दें तथा अन्य रचनाकारों की रचनाओं पर अपना महत्वपूर्ण विचार रख उनका उत्साह वर्धन भी करें |

इस बार के "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-2 का विषय है "प्रेम"
प्रेम का सीधा सीधा अर्थ यूँ तो संयोग / वियोग आधारित श्रुंगार रस ही होता है यानि इश्क-मुहब्बत-जुदाई वग़ैरह| परंतु यदि कोई फनकार प्रेम के अन्य प्रारूप जैसे प्रकृति प्रेम, इश्वरीय प्रेम, पक्षी प्रेम, देश प्रेम जैसे विषयों पर भी प्रस्तुति देना चाहे तो आयोजन में और भी चार चाँद लग जाएँगे|

यह इवेंट शुरू होगा दिनांक ०१.१२.२०१० को और समाप्त होगा ०५.१२.२०१० को, रोचकता को बनाये रखने हेतु एडमिन जी से निवेदन है कि फिलहाल रिप्लाइ बॉक्स को बंद कर दे तथा इसे दिनांक ०१.१२.२०१० लगते ही खोल दे जिससे सभी फनकार सीधे अपनी रचना को पोस्ट कर सके तथा रचनाओं पर टिप्पणियाँ दे सके |

आप सभी सम्मानित फनकार इस महा इवेंट मे सादर आमंत्रित है,जो फनकार अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है उनसे अनुरोध है कि www.openbooksonline.com पर log in होकर sign up कर ले तथा "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-2 मे शिरकत करें | उम्मीद ही नहीं विश्वास है कि यह "महा इवेंट" पिछले "महा इवेंट" के रिकार्ड को भी पीछे छोड़ देगा | आप सभी से सहयोग की अपेक्षा है |

प्रतीक्षा में
ओबिओ परिवार

Views: 13648

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

नवीन जी,
जय श्री राधे कृष्ण
नवीन भाई,
हौसला अफजाई के लिए आपका आभार
कव्वाली (हम प्यार तुम्हें इतना)
हम प्यार तुम्हें इतना बेखौफ हो करते हैं,
हम प्यार तुम्हें इतना बेखौफ हो करते हैं,
कुछ ऐसे भी आशिक हैं इज़हार से डरते हैं.

कोई लाख मना करले कि प्यार नहीं करते,
कोई लाख मना करले कि प्यार नहीं करते,
प्रेम के ये पौधे हर दिल में पनपते हैं.

इस प्यार के रस्ते में दीवार बने सारे,
इस प्यार के रस्ते में दीवार बने सारे,
है जीत उनकी पक्की जो लाँघ के चलते हैं.

काँटे भले हों पहले फिर फूल भी मिलेंगे,
काँटे भले हों पहले फिर फूल भी मिलेंगे,
सब कुछ मिलेगा जो इस मुश्किल में सँभलते हैं.

उम्मीद तुम ना छोड़ो, क्यों इस पे टिकी दुनिया,
उम्मीद तुम ना छोड़ो, क्यों इस पे टिकी दुनिया,
कोशिशें करने से हालात बदलते हैं.

जो प्यार को हैं समझे उसने खुदा को पाया,
जो प्यार को हैं समझे उसने खुदा को पाया,
जो थक के हार बैठे, जीते हैं ना मरते हैं.
---------------- लेखक – सुशील जोशी
जो प्यार को हैं समझे उसने खुदा को पाया,
जो थक के हार बैठे, जीते हैं ना मरते हैं.
उम्मीद तुम ना छोड़ो, क्यों इस पे टिकी दुनिया,
कोशिशें करने से हालात बदलते हैं.
कोई लाख मना करले कि प्यार नहीं करते,
प्रेम के ये पौधे हर दिल में पनपते हैं.

सुशील भाई, आपकी पूरी की पूरी कब्बाली ही सराहने लायक है, साथ ही मुबारक भी आपकी रचना मेरे हिसाब से 100 वी है
इस हौसलाअफज़ाही के लिए हार्दिक धन्यवाद राकेश भाई........ और मुझे पता ही नहीं था कि मैंने सैंचुरी मारी है....... हा..हा..हा...... आभार यह बताने के लिए.
इस प्यार के रस्ते में दीवार बने सारे,
इस प्यार के रस्ते में दीवार बने सारे,
है जीत उनकी पक्की जो लाँघ के चलते हैं.

shaandar rachna sushil bhai....keep it up
बहुत-2 धन्यवाद आपका तिवारी जी......
वाह!
हा...हा....हा.......नवीन भाई, हार्दिक आभार आपका........ आपके विश्वास पर खरा उतरने की कोशिश मात्र है....
तिवारी जी, आपके स्नेह एवं आशीर्वाद से एक दिन ज़रूर ऐसा आएगा, मुझे पूर्ण विश्वास है........ सादर आभार आपका....
""प्यार बस परिहास बन कर, रह गया है आज कल""

प्यार बस परिहास बन कर, रह गया है आज कल,
टूटा हुआ विश्वास बन कर, रह गया है आज कल..........

सोहनी ओ महिवाल कहिये, या शीरी ओ फरहाद,
नाम बस इतिहास बन कर, रह गया है आज कल.........

जिन्दगी जीना ख़ुशी से, चाहता हर एक बसर,
जीना कठिन संत्रास बन कर, रह गया है आज कल..........

निकलने को मचल रही, पर निकल पाती नही,
ऐसी कठिन एक सांस बन कर, रह गया है आज कल..........

जितना जी चाहे मसलो, जब तलक चाहे मसलो,
ये बदन बस मांस बन कर, रह गया है आज कल..........

आज मुर्दे की सी हालत, आदमी की हो गई,
आदमी नि श्वास बन कर, रह गया है आज कल..........

प्यार, मोहब्बत, के लिए, पैसा आज भगवान बन गया,
पैसा ही बस खास बन कर, रह गया है आज कल..........

आएगा फिर दौर प्यार का, इस जहाँ में फिर दौबारा,
सुंदर भविष्य की आस बन कर, रह गया है आज कल..........

देश का बेडा गर्क कर दिया, वोट के भूके नेताओं ने,
रामराज्य अधूरी प्यास बन कर, रह गया है आज कल..........

प्रक्रति का दोहन करते, नही समझते हम ये बात,
ये दोहन बड़ा विनास बन कर, रह गया है आज कल..........

जंगल, पेड़ काट कर हमने, बना लिए हैं महल दुमहले,
प्रलय बुलाता विकास बन कर, रह गया है आज कल..........

प्यार ओ वफा की कीमत, बाजार में केवल चंद रुपल्ली,
वफा, प्यार वकबास बन कर, रह गया है आज कल..........

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
22 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service