मुझको होती है हैरानी l
चंगू की नानी बड़ी सयानी
बूढ़ी होकर गयी जवानी
बिना दांत की दुखद कहानी
खाने को वो जाती है जानी
खाती लड्डू पीती पानी
दूध-जलेबी पर है ठानी
खाकर फिर बनती अनजानी l
मुझको होती है हैरानी l
गाय नांद में खाती सानी
भोर हुई कौओं की बानी
चिड़ियाँ आती हैं पहचानी
एक है लंगडी एक है कानी
फुदक-फुदक करतीं शैतानी
आदत इनकी बड़ी पुरानी
खाते मिलकर दाना-पानी l
मुझको होती है हैरानी l
-शन्नो अग्रवाल
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Shanno ji
गाय नांद में खाती सानी
भोर हुई कौओं की बानी
चिड़ियाँ आती हैं पहचानी
एक है लंगडी एक है कानी
फुदक-फुदक करतीं शैतानी
आदत इनकी बड़ी पुरानी
खाते मिलकर दाना-पानी l
bahut badhiya rachna ,badhai
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