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सुन री तितली

 

नीले पीले हरे जामनी और

सुनहरे पंखो वाली तितली

उड़ती उड़ती जा बैठी

आँगन के खिले गुलाबों पर

कभी चम्पा कभी चमेली पर

इधर फुदकती उधर फुदकती

मटक कर उड़ जाती फुर्र

मुन्ना बोला सुन री तितली !

कहाँ से लाई सुंदर पंख

धब्बेदार कोई चक्त्ते वाला  

बेल सुनहरी कोई बूटे वाला,  

मुंछों पर ताव दे मुस्काई

बोली मेरी सुंदर काया है

केवल प्रभु ने

मुझे तेरे लिए बनाया है

मुसकाती तितली आ बैठी

मुन्ने की छोटी हथेली पर

बाग बगीचे सुंदर फूल

पर तुझे बनाया प्यारा फूल ।...................... अन्नपूर्णा बाजपेई

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Replies to This Discussion

इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ......................

धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी ।

   अच्छी बाल रचना प्रस्तुति के लिए बधाई अन्नपूर्णा बाजपेयी जी 

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार ।

बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

आपका हार्दिक आभार आ0 बृजेश जी ।

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