बाल कविता
हुआ सवेरा जागो मुन्ने !
सरपट सरपट भागो मुन्ने !
देखो सूरज चाचा आए,
भोर सुनहरी झिलमिल लाए।
.खिली प्रेम से नन्हीं कलियाँ,
रंग बिरंगी उड़ें तितलियाँ ।
चिड़ियाँ चीं चीं लगीं चहकने ,
कोयल कू कू लगी कुहुकने ।
भँवरे करते गुन गुन गुन गुन ,
बजें घंटियाँ टुन टुन टुन टुन।
चल दिये सब विद्यार्थी ,
बस्ता लेकर सब शिक्षार्थी ।
देर न होने पाये, मुन्ने !
झटपट झटपट जागो मुन्ने !
सरपट सरपट भागो मुन्ने !
हुआ सबेरा जागो मुन्ने ! ......................... अन्नपूर्णा बाजपेई
अप्रकाशित एवं मौलिक
Tags:
आदरणीया अन्नपूर्णा जी..
बहुत सुन्दर बाल गीत... सुकोमल भाव ..हार्दिक बधाई आपको.
यदि प्रथम दो पंक्तियों की तरह सभी पंक्तियों को १६ की मात्रा गणना के अनुसार साधें तो गेयता व प्रवाह अद्भुत होगा..
जैसे..
हुआ सवेरा जागो मुन्ने !.............................१६
सरपट सरपट भागो मुन्ने !..........................१६
देखो सूरज चाचा आ पधारे,...............................देखो सूरज चाचा आए
कैसी भोर सुनहरी ला पधारे।.............................भोर सुनहरी झिलमिल लाए
खिल उठीं नन्ही नन्ही कलियाँ,...........................खिली प्रेम से नन्हीं कलियाँ
आ बैठी सुंदर प्यारी तितलियाँ ।.........................रंग बिरंगी उड़ें तितलियाँ
पेड़ों पर चिड़ियाँ चहकने लगी,..............................चिड़ियाँ चीं चीं लगीं चहकने
अंबवा पर कोयल कुहुकने लगी ।.........................कोयल कू कू लगी कुहुकने
फूलों पर भँवरे करते गुन गुन ,.............................भँवरे करते गुन गुन गुन गुन
मंदिर मे बजती घंटियाँ टुन टुन ।............................बजें घंटियाँ टुन टुन टुन टुन
.................शायद सहमत हों..
शब्द साधना यूँ ही अनवरत चलती रहे
शुभकामनाएँ
आदरणीया प्राची जी आपका बहुत आभार मै आपकी बात से सहमत हूँ । और मै ये परिवर्तन भी कर लूँगी । सादर
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