उठो पढ़ो नित नव उमंग से , आलस दूर भगा डालो | |
सुबह शाम करो याद मन से , रोज आदत बना डालो | |
मेहनत से कभी डरो नहीं , आगे कदम बढाते जा | |
रोज सुबह की बेला में उठ , सभी पाठ दुहराते जा | |
डरना नहीं किसी मौसम से , सर्दी गर्मी हो जाड़ा | |
लगन रहे हरदम पढ़ने में , मनन करो हरदम गाढ़ा | |
थोड़ा खेलो करो पढ़ाई , हर सबक पर मन लगाओ | |
समय की भी रहे पाबन्दी , कभी ऐसे ना गवाओ | |
पढ़ कभी कामयाब बनोगे , फिर जाकर नाम करोगे | |
आएगा तब साथ जमाना , ख़ुशी ख़ुशी काम करोगे | |
पास कभी आएगी मंज़िल , जब बढ़िया काम करोगे | |
लोग करेंगे आदर हरदम , जग में भी नाम करोगे | |
खेल कूद कर थक जाओगे , फिर कहाँ होगी पढ़ाई | |
जब दिन रात सोते रहोगे , ना हो पढ़ाई लिखाई | |
आज अगर ना करो पढ़ाई , जीवन भर पछताओगे | |
वर्मा पढ़ना लिखना सीखो , तब ही मंज़िल पाओगे | |
श्याम नारायण वर्मा |
(मौलिक व अप्रकाशित) |
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ग्रीष्मावकाश के दौरान बढ़िया प्रेरणा देती प्रोत्साहक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब श्याम नारायण वर्मा साहिब।
रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद .सादर
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