भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम,
जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साहित्य-लेखन के प्रोत्साहित कर रहल बा ।
एही कड़ी में भोजपुरी साहित्य-लेखन विशेष क के काव्य-लेखन के प्रोत्साहित करे के उद्येश्य से रउआ सभ के सोझा एगो अनूठा आ अंतरजाल प भोजपुरी-साहित्य के क्षेत्र में अपना तरहा के एकलउता लाइव कार्यक्रम ले के आ रहल बा जवना के नाम बा "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता"
तीन दिन चले वाली ई ऑनलाइन प्रतियोगिता तिमाही होले, जवना खातिर एगो विषय भा शीर्षक दिहल जाला । एही आधार प भोजपुरी भाषा में पद्य-रचना करे के बा । एह काव्य प्रतियोगिता में रउआ सभे अंतरजाल के माध्यम से ऑनलाइन भाग ले सकत बानी अउर आपन भोजपुरी पद्य-रचना के लाइव प्रस्तुत क सकत बानी । साथहीं, प्रतिभागियन के रचना पर आपन मंतव्य दे सकत बानीं भा निकहा सार्थक टिप्पणी क सकत बानी |
जे सदस्य प्रतियोगिता से अलग रह के आपन रचना प्रस्तुत कईल चाहत बाड़े, उनुकरो स्वागत बा, आपन रचना "प्रतियोगिता से अलगा" लिख के प्रस्तुत कर सकेलें |
भोजपुरिया भाषी लोगन के संगे बड़का दिक्कत बा कि उ लोग भोजपुरी बोले में लजाला, जब बतकही करेवाला भोजपुरी बोल समझ लेत बा त फेनु बोले में का दिक्कत ? जब भोजपुरी माई भाषा ह, फेनु बोले में काहे हिचकिचाई ? शान से बोलीं, मन से बोली, आपन भोजपुरी बहुते मीठ भाषा ह, त आई एही मुदा के एह प्रतियोगिता के विषय बनावल जाव अउरो एके काव्यात्मक अभिव्यक्ति कईल जाव ....
प्रतियोगिता के विषय : "मन से बोलीं भोजपुरी"
अवधि : प्रतियोगिता दिनांक 29 मई दिन बुधवार लागते सुरु होखी आ 31 मई दिन शुक्रवार के रात 12 बजे ख़तम हो जाई।
पुरस्कार :
त्रि-सदस्यीय निर्णायक मण्डल के निर्णय के आधार प विजेता रचनाकारन के नाँव के घोसना कइल जाई ।
प्रथम - रु 1001/- अउर प्रमाण पत्र
द्वितीय - रु 551/-अउर प्रमाण पत्र
तृतीय - रु 501/-अउर प्रमाण पत्र
पुरस्कार राशि (भारत में भुगतेय चेक / ड्राफ्ट द्वारा) अउर प्रमाण पत्र, खलिहा भारत के पता प भेजल जाई ।
पुरस्कार के प्रायोजक
(1) Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
(2) गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band)
(A leading music company)
H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.
नियम
1- रचना भोजपुरी भाषा में होखे के चाहीं |
2- रचना के कथ्य आ लिहाज अइसन होखे जे सपरिवार पढ़ल आ सुनल जा सके ।
3- रचना "मौलिक आ अप्रकाशित" होखे के चाहीं । माने रचना केहू दोसर के ना आपन लिखल होखे अउर रचना कवनो वेब साईट चाहे ब्लॉग पर पहिलहीं से प्रकाशित नत होखे ।
4- प्रतिभागी कवि आपन रचना काव्य के कवनो विधा में अधिका से अधिका कुल तीन हाली दे सकत बाड़न । ध्यान अतने राखे के बा जे रचना के स्तर बनल रहे । माने अधिका लिखे का फेरा में रचना के गुणवत्ता ख़राब नत होखे |
5- बेकार अउर नियम विरुद्ध रचना बिना कवनो कारण बतवले मंच संचालक / ओबीओ प्रबंधन दल द्वारा हटावल जा सकेला ।
6- अबही Reply बॉक्स बंद रही जवन ठीक कार्यक्रम प्रारंभ होत यानी तारीख २९ मई लागते खोल दियाई अउर 31 मई खतम भइला प बंद क दीहल जाई |
7- अगर रउआ कवनो कारने आपन रचना समय से पोस्ट करे में असमर्थ बानीं त आपन रचना ई-मेल के जरिये admin@openbooksonline.com पर भेज दिहीं | राउर रचना एडमिन OBO का ओर से राउर नाँवें पोस्ट क दीहल जाई। ओइसे कोशिश ईहे करीं जे राउर रचना रउए पोस्ट करीं । ई सुविधा खलसा ओबीओ सदस्य लोगन खातिर बा ।
8- जौन रउआ अबहीं ले ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नईखी जुड़ल त www.openbooksonline.com पर जाके sign up कइ OBO के मुफ्त सदस्यता ले लिहीं आ भोजपुरी साहित्य समूह के ज्वाइन करीं |
9- अधिका जानकारी खातिर रउआ मुख्य-प्रबंधक के ई-मेल admin@openbooksonline.com पर मेल करीं । चाहे मोबाइल नंबर 09431288405 पर संपर्क क सकत बानीं |
मंच संचालक
सतीश मापतपुरी
(प्रबंधक भोजपुरी साहित्य समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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ऐ सरकार !! फ़ोनों पर प्रभार सउप दिहले होती !!! कमसे कम मंच संचालन त कोई से करवा लेवल जाइत, आयोजन के अंतिम दिना भक्जोग्नी लेखा भुकभुका के चल गईनी ।
कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शुभ कामनाएं लेकर हाजिर हूँ.
आदरणीय संचालक महोदय जी
सादर अभिवादन
एक रचना सेवा में प्रस्तुत है ,
भोजपुरी भासा अपने देसवा की भासा
काहे सरमावल काहे होवल हा निरासा
सुरजवा घर से ईहा पायेला अरुणीया
समझेला पढ़ेला बोलेला आधी दुनिया
भोजपुरी रिश्ते मा लागल हिंदी की बहना
भारत माता की यही श्रंगारिक गहना
गावा लिखा प्रेम से बोला हइ मधुर वानी
देर न अब कोई इसे राज भाषा सब मानी
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक/ अप्रकाशित
फीता काटे खातिर निकहा बधाई बड़का भैय्या प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी. कविता खूब नीक लागल, पढ़कर मन गदगद हो गईल, एतना सुन्नर रचना खातिर बधाई कहि रहल बानी - स्वीकार करी.
आदरनीय अनुज श्री जी पहलवा तो जय राम लिहेल जायी .हम देखेल मैदनवा खाली बा काहे न दौड़ लगावा जाई . उपरा ते आपका सुन्नर सुन्नर बतकही गरमिया मा ठंडे का एहसास दिलौले बा
सादर आभार
कौनो गलती होई तो माफ किये
आदरणीय अनुज श्री जी
सादर / सस्नेह
एक प्रयास मात्रा गिनकर लिखने का किया है . ये कविता बन गयी और आपके हस्ताक्षर मिले. उर्जा मिली. बहुत दिनों बाद . आशा है अब आप पूर्ण स्वस्थ होंगे और मेरा मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे पूर्व की भाँती.
आभार असीम स्नेह हेतु
आदरणीय योगराजभाईसाहब, राउर मुखकमल से हेह खाँटी भासा के गुँजन सुन के मन के इण्डिया अप बा.. .
बहुत सधल भासा मे रउआ आदरणीय प्रदीपजी के बधाई देले बानी.. .
बाह भाईजी बाह.. .
भोजपुरी रिश्ते मा लागल हिंदी की बहना
भारत माता की यही श्रंगारिक गहना .. .
बाह आदरणीय भइया.. बाह.. आपके दँवकत उत्साह आ रचनाधर्मिता पर कोटि-कोटि नमन करत बानीं हम.. .
सादर
आदरणीय सौरभ सर जी
सादर
अनजाने प्रयास पर आपकी वाह वाह मिली . सुधारना हो तो सलाह दे दीजिए
आपके असीम स्नेह हेतु कृतग्य हूँ.
बहोत नीके फीता काटल भइया। का बात बा। बहुतै सुन्दर लिखला। ई तौ छुपा रूस्तम निकल्या। हमरौ बधाई।
प्रिय ब्रजेश जी
सस्नेह
आपको मेरे लेखन पर प्रसन्नता हुई
सादर आभार , स्नेह बनाये रखिये
आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, संभवतः भोजपुरी राउर माई भाषा नईखे, तबो हेतना सुन्दर रचना देख, पढ़ के मन गदगद बा, रचना भले छोटहन बा बाकिर कथ्य के व्यापक समावेश बा, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करीं ।
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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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