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गुरु जी के मान बतिया जीवन बदल जाई,
आज नाही बाबु दू चार साल बादे बुझाई ,

खायल रोज गुटका तुहू बाबु मन लगाइके ,
साझ ले तिस चालीस रूपया बिलवाइके ,
आज से मान बतिया एकरा के रोकअ हो ,
एक दिन में तिस चालीस महिना में हजार हो ,
साल में जोड़ बबुआ केतना ले बच जाई ,
आज नाही बाबु दू चार साल बादे बुझाई ,

छोरबा जे गुटका मुह के जायका बदल जाई ,
खाए में सु सु करत बाड़ सब ठीक हो जाई ,
डाक्टर के लगे कम जइबा मोरे बाबु हो ,
चेहरा ता खिल जाई जाईसे चलल जादू हो ,
दातवा के तहरो भाई अब उमर बढ़ जाई ,
आज नाही बाबु दू चार साल बादे बुझाई ,

नेवता देत बाड़ अल्सर आउर केंसर के ,
एक दिन ख़तम होई भीर सब दोस्तन के ,
जहिया तू पर जइबा बाबु धरी के खाट हो ,
ओह्दीन समझ आई गुरु जी के बात हो ,
आगे जे चेत जइबा त उ दिन कईसे आई ,
आज नाही बाबु दू चार साल बादे बुझाई ,

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Replies to This Discussion

बहुत खूब गुरु जी , आज ता रौआ एकदम गुरु वाला अंदाज मे शिक्षाप्रद रचना लिखले बानी, बहुत बढ़िया लागल, जय हो ,
Jai ho gurdev Ki , Chaa gail bani rauwa Ekdaam, Guru Jee

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