ऊ एगो धन्ना सेठ रहले । जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब उनका बुझाइल के अब उनकर मृत्यु नियरा गइल बा तब ऊ अपना इंस्योरेन्स एजेण्ट, अपना डाक्टर आ अपना द्वारा बनवाल मन्दिर में पूजा करे वाला पुजारी के बोलववले आ ओह लोग से कहले - "हम रउरा लोगिन पर जिन्दगी भर पूरा विश्वास कइनी । अब हमार अन्त नजदीक आ गइल बा । अब हम रउरा लोगिन के बीस-बीस लाख रुपया के लिफाफा देत बानी जे कि हम अपना संगे ले जाए के चाहत बानी । हमार अन्तिम इच्छा बा कि हमरा मरला के बाद रउरा लोगिन ई रुपया हमरा चिता पर राख दीहव । हमरा रउरा लोगिन पर पूरा बिस्वास बा कि रउरा लोगिन हमार जरूर पूरा करब ।" एकरा बाद धन्ना सेठ ओह तीनों जन के २०-२० लाख रुपया के लिफाफा पकड़ा के स्वर्ग सिधार गइले ।
धन्ना सेठ के अंतिम यात्रा में उनकर इंस्योरेन्स एजेण्ट, डाक्टर आ पुजारी तीनो जन शामिल भइल । धन्ना सेठ के अंतिम संस्कार में भाग लेबे खातिर पहुँचल सब केहू देखलस कि तीनो जन धन्ना सेठ के चिता में एक-एक लिफाफा धइलस लोग । एकरा बाद धन्ना सेठ के देह पंच तत्व में विलीन हो गइल । सेठ के अंतिम संस्कार में भाग लेके लौटत बेरी माहौल के हलका करे खातिर तीनो जन आपस में कुछ वार्तालाप करे लागल लोग ।
डाक्टर कहले - "हम तऽ ओह लिफाफा में सिर्फ दस लाख रुपया रखनी हऽ आ बाकी के दस लाख से हम अपना क्लीनिक खातिर नया मशीन खरीदब जेकरा जे गम्भीर किस्म के बीमारी के पता लगावे में मदद मिली ।"
तब पुजारियो सकरले - "हमहूँ रउरा लोगिन के बतावे के चाहत बानी कि हम उनका चिता पर सिर्फ पाँच लाख रुपया के लिफाफा धइनी हऽ । बाकी के पन्द्रह लाख रुपया के हमरा जरूरत रहल हऽ जेकरा से हम गरीब आ बेसहारा लोग के सहायता कर सकीं । सेठो जी तऽ ईहे चाहत रहनी ।"
एकरा पर इंस्योरेन्स एजेण्ट के ओह दूनू जन पर बहुत गुस्सा चढ़ल । ऊ कहलस - "हमरा एकदम एह बात पर बिस्वास नइखे होखत कि रउरा दूनू जन एगो दिवंगत व्यक्ति से ओकरा पइसा खातिर बेइमानी भी कर सकीले । हम रउरा लोगिन के बता दीहीं कि हम सेठ जी के नाम से पूरा बीस लाख के चेक काट के ओह लिफाफा में डाल दिहले रहनी हऽ ।"
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