गीत
दिनवा ओराये लागल
रतिया हेराए लागल
बुते लागल असरा क. बरल. तु दियना
कह. अइब. कबले, लागे मोर जिय ना
का ओही देसवा मा-
बाटे, जे बिलमि गइल.
मइया क. बूढउती क.
बने तु अलमि गइल..
दूजि क. चाँद भइल. ,आंखी मोर सावना
कह. अइब. कबले, लागे मोर जिय ना
खेल कूद, लिखा पढ़ी
सबकर गवाही बा
इहवें क. धुरिया तोहरे
पोर-पोर समाइल बा
कइसे से उखरल बाबा दुलरवा क. सियना
कह. अइब. कबले, लागे मोर जिय ना
आम बउरे, मेघा चुये
माटी सोंधियाइल फेरू
कोयलिया क. कुहूक से
गूँजल अमराई फेरू
जोहे चउपाल, टोला, राह, साथी, संगना
कह. अइब. कबले, लागे मोर जिय ना
घरे घरे लट्टू,टीवी
डहर. कोलतारी
गाँव मनरेगा,चलल
विकास क. बयारी
गवई शहराए लागल, जाइ बाँच. सुगना
कि आइ हिये लाग. ना
कह. अइब. कबले, लागे मोर जिय ना
प्रमोद श्रीवास्तव, लखनऊ
(मौलिक एवम् अप्रकाशित)
Tags:
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |