For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोजपुरी ग़ज़ल

ठेस जब दिल पर न लागल, मन अकुलाईल काहे |
बात जब कुछुओ न रsहल, आँख लोराईल काहे ||

फांस लालच के फईलल बा, मना ओहर ह जाइल |
बात सभके समझ आइल, लोग अझुराईल काहे ||

सबुर से बड़हन नईखे, केवनो दउलत जहां में |
मिलल एगो रोटी जे कम, मन झुझूआईल काहे ||

ऊ करेले प्यार तहरा से, कहत रहलs सभे से |
बोललs जे आई लव यू, फेर खिसिआईल काहे ||

जनम लेवे से पहिले, मार दिहलs बिटियन के |
अब पतोहू ना मिले, तs मन बघूआईल काहे ||

  • गणेश जी "बागी" 

ग़ज़ल सुने खातिर प्ले (>) बटन पर चटका लगाईं ....

हमार पिछुलका पोस्ट => एगो प्रयोग : भोजपुरी घनाक्षरी

Views: 2525

Replies to This Discussion

गणेश जी, नमस्कार,
भोजपुरी ग़ज़ल के लिए धन्यवाद,
कुछ शब्दों का अर्थ नहीं समझ आया पर, अंतिम शे'र  में आपने जो चोट मारी है काबिले  तारीफ है.
जनम लेवे से पहिले, मार दिहलs बिटियन के |
अब पतोहू ना मिले, तs मन बघूआईल काहे ||
सुरिन्दर रत्ती
मुंबई

आदरणीय सुरिंदर रत्ती जी , नमस्कार,

ग़ज़ल पसंद करने हेतु आभार, कुछ भोजपुरी शब्द जो न समझ आया यदि आप उल्लेख करेंगे तो मैं उसे समझाने का प्रयास करूँगा | अंतिम शे'र मुझे भी बहुत पसंद है |

गणेश भाई,  नमस्कार स्वीकार करें,

इस भोजपुरी ग़ज़ल में विचार के साथ साथ शिल्प भी सुन्दरता से उपयोग हुआ है. इन शब्दों का क्या अर्थ होगा?

 

लोराईल =

अझुराईल = 

 

यह शेर बहुत ही उम्दा है........ 
जनम लेवे से पहिले, मार दिहलs बिटियन के |
अब पतोहू ना मिले, तs मन बघूआईल काहे ||

विनोद भाई, नमस्कार !

ग़ज़ल आपने पसंद किया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

 

आँसू शब्द को भोजपुरी में लोर कहा जाता है, आँख जब आँसू से भर जाती है तो उसे लोराना / लोराईल (लोर आईल=लोर आना)  कहते है |

फंसने को अझुराना कहते है , उदाहरण - मछली जाल में अझुराईल बीया |

Bagi bhai ap bhojpuri gaurav hain.bahut badhiya ghazal kahi apne ek dam"kareja nikar ke"rakh diye hain.aisi rachnaon se hi apni bhasha ka vikas hoga.

अरुण भाई राउर सराहना सर माथे पर, बहुत बहुत धन्यवाद राउर |

भाई गणेशजी, .. बहुत सुन्नर ग़ज़ल बनल बा.. आसीर्वाद आ इस्नेह मीलो..

 

बात जब कुछुओ न रsहल, आँख लोराईल काहे ||

मन के भीतरी हुदकत भाव छुआओ तऽ भभकि जाले.. तऽ ऊ कबो बोली से ना, लोराइल-पनियाइल आँखि माहें चूए लागेले.. बहुत हृदय लगवले बाड़ऽ भाई.

बात सभके समझ आइल, लोग अझुराईल काहे ||

ई बतिया लोगन के बुझाइये गइल रहित त अइसन दुरगींजन आ अझुरहट काहें भइल रहित, ए भाई? ..मन ना रङाय, रङाय जोगि कपड़ा ...भइला पऽ ईहे नूँ होखी...!
ऊ करेले प्यार तहरा से, कहत रहलs सभे से |
बोललs जे आई लव यू, फेर खिसिआईल काहे

हा हा हा.. मस्त.. बहुत मस्त कऽ दिहलऽ भाईजी.. ऊ बबुआ के कहहीं ना आइअल.होई...

निकहा फल-फूल दिहला के जगहा, ऊ बबुआ, एगो सउँसे कोंहड़ सोझा धऽ देले होइहें उनका, ई कहत, जे  ए बहिनी.. आइ लव यू...!!  :-)))

जनम लेवे से पहिले, मार दिहलs बिटियन के |
अब पतोहू ना मिले, तs मन बघूआईल काहे ||

उहवाँ छुअलऽ भाई.. जहवाँ सबले ढेर पिराला..  ई बतिया कवनो अतिशयोक्ति ना हऽ.

अपना देस के कुछ राज्यन में ई नौबत आ चुकल बा. ..
कवना घर में शिव नइखन?.. कवना घर में पारवती ना होखिहें?  .. बे शिव आ पारवती के ई संसार कइसन??

 

दमगर ग़ज़ल पऽ मन मनसाइल बा.. बहुत स्नेह-दुलार..।

बड़ भाई के पीठ ठोकला पर मन गदगद त होखबे करेला साथ में नाचे, कूदे, फाने के मन होखे लागेला, बड़ा दूर से थाक मान के अईला पर जईसे ek लोटा ठंढा पानी गुड के साथ पी लेला पर महसूस होला, वोईसने कुछ हमरा राउर सराहना से महसूस होत बा, इ सराहना कही न कही हमरा आक्सीजन के काम करत बा |  हमरा गर्व बा कि राउर आशीर्वाद भरल हाथ हमरा कपार पर बा |

बहुत बहुत आभार सौरभ भईया |   

गणेश जी, पहिला शेर पर त, ''रोकले रोकईल न लोर'' आऊर अंतिम शेर भी कमाल के बा...बहुत बहुत शुभकामना आप के,
सादर

आराधना जी, कुछ बात दिल से निकलेला जवन साहित्य के हिस्सा हो जाला अउर दिल के निकलल चीज के तासीर त कुछ प्रभाव जमईबे करी |

बहुत बहुत आभार राउर |


जनम लेवे से पहिले, मार दिहलs बिटियन के |
अब पतोहू ना मिले, तs मन बघूआईल काहे ||

bahut badhia sir ji khali eke aadami na nu mari jab dunu mari ta ghar me bantha rahi

धन्यवाद गुरु जी |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service