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हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद - (भाग २)

इस लेख के पिछले खंड
हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद - (भाग १)

में बताया गया कि छन्द मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं

१- वर्णिक छन्द
२- मात्रिक छन्द

तथा इनका परिचय भी प्रस्तुत किय गया अब छन्द के भेद के साथ उप भेद को भी जानेंगे

जैसा कि आपने जाना प्रत्येक पंक्ति को पद कहते हैं पद में यति/गति अर्थात विश्राम के आधार पर के आधार पर चरण का निर्माण होता है यति/गति अर्थात विश्राम न होने पर चरण नहीं बनता है
जैसे चौपाई में चार पद होते हैं तथा पदों में विश्राम नहीं होता इसलिए पद में चरण का निर्माण नहीं होता है

दो पंक्ति को द्विपदी कहते हैं
चार पंक्ति को चतुष्पदी कहते हैं

मुख्यतः छन्द के दो भेद १ - वर्णिक छन्द तथा २- मात्रिक छन्द के तीन तीन उप भेद होते हैं

मात्रिक छन्द के उप भेद

क) - सम मात्रिक छन्द
ख) - अर्ध सम मात्रिक छन्द
ग) - विषम मात्रिक छन्द

क) - सम मात्रिक छन्द - जिस द्विपदी के चरों चरण की मात्राएँ समान होती हैं अथवा जिस चतुष्पदी के चारो पद की कुल मात्राएं सामान होती हैं उन्हें सम मात्रिक छन्द कहते हैं

ऐसे चतुष्पदी का प्रचिलित उदाहरण चौपाई छन्द है जिसके चारो पद में १६ - १६ मात्राएं होती है|
विधान - ४ पद, प्रत्येक पद में १६ मात्रा
उदाहरण -
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवन सुत नामा 

मात्रा गणना
ज१ य१ ह१ नु१ मा२ न१  ज्ञा२ न१  गु१ न१  सा२ ग१ र१  = १६ मात्रा

ज१ य१ क१ पी२ स१ ति१ हुं१ लो२ क१ उ१ जा२ ग१ र१     = १६ मात्रा
रा२ म१ दू२ त१ अ१ तु१ लि१ त१  ब१ ल१  धा२ मा२      = १६ मात्रा
अं२ ज१ नि१ पु२ त्र१ प१ व१ न१ सु१ त१ ना२ मा२        = १६ मात्रा

चतुष्पदी का एक और उदाहरण कज्जल छन्द है जिसके चारो पद में १४ - १४ मात्राएं होती है, अंत गुरु लघु से होता है |
उदाहरण -
प्रभु मम ओरी देख लेव |  = १४ मात्रा
तुम सम नाहीं और देव |  = १४ मात्रा
कास प्रभु कीजै तोरि सेव | = १४ मात्रा
ताव न् कोऊ तोर भेव |    = १४ मात्रा

द्विपदी का प्रचिलित उदाहरण विधाता छन्द है जिसके चारो चरण में १४ - १४ मात्राएं होती हैं

सम मात्रिक छन्द के दो उप भेद हैं
१ - साधारण सम मात्रिक छन्द
२- दंडक सम मात्रिक छन्द

१ - साधारण सम मात्रिक छन्द - मात्रिक छन्द के अन्तर्गत प्रत्येक चरण अथवा प्रत्येक पद में मात्रा ३२ तक हो तो उसे साधारण सम मात्रिक छन्द कहते हैं
कुछ प्रचिलित छन्द -
उल्लाला छन्द (द्विपदी) प्रत्येक चरण १३ मात्रा
चौपाई छन्द (चतुष्पदी) प्रत्येक पद १६ मात्रा
सुमेरू छन्द (चतुष्पदी) प्रत्येक पद १९ मात्रा
हरिगीतिका छन्द (चतुष्पदी) प्रत्येक पद २८ मात्रा

 
२- दंडक सम मात्रिक छन्द - मात्रिक छन्द के अन्तर्गत प्रत्येक चरण अथवा प्रत्येक पद में मात्रा ३२ से अधिक हो तो उसे दंडक सम मात्रिक छन्द कहते हैं

उदाहरण  
हरिप्रिया छन्द (चतुष्पदी) प्रत्येक पद ४६ मात्रा
हरिप्रिया छन्द उदाहरण -
सोहाने कृपानिधान, देव देव राम चन्द्र भूमि पुत्रिका समेत देव चित्त मोहैं
मानो सुरतरुसमेत, कल्प बेलि छबि निकेत, शोभा श्रृंगार किधौं रोप धरैं सोहैं
लक्ष्मीपति लक्ष्मीयुत देवीयुत ईश किधौं छायायुत परम ईश चारु वेश राखैं 
वन्दैन् जग मात तात, चरण युगल, नीरजात जाको सुर सिद्ध विध मुनिजन अभि लाखैं  


ख)- अर्ध सम मात्रिक छन्द - जिस मात्रिक छन्द के द्विपदी में विषम चरम तथा सम चरण की मात्रा अलग अलग होती है अथवा चतुष्पदी में विषम पद तथा सम पद की मात्रा अलग अलग होती है उसे अर्ध सम मात्रिक छन्द कहते हैं
उदाहरण -
दोहा छन्द में विषम चरण १३ मात्रा तथा सम चरण ११ मात्रा का होता है अतः दोहा अर्ध सम मात्रिक छन्द है
अन्य अर्ध सम मात्रिक छन्द देखें -

सोरठा - (द्विपदी) = विषम चरण - ११ मात्रा / सम चरण - १३ मात्रा

उल्लाल - (चतुष्पदी) = विषम पद - १५ मात्रा / सम पद - १३ मात्रा

बरवै - (द्विपदी) = विषम चरण - १२ मात्रा / सम चरण - ७ मात्रा


ग) - विषम मात्रिक छन्द - जिस मात्रिक छन्द के द्विपदी में चारों चरण अथवा चतुष्पदी में चारो पद की मात्रा अलग अलग होती है उसे विषम मात्रिक छन्द कहते हैं
उदाहरण -
सिंहनी छन्द -(द्विपदी)
प्रथम चरण - १२ मात्रा
द्वितीय चरण - २० मात्रा
तृतीय चरण - १२ मात्रा
चतुर्थ चरण - १८ मात्रा

दो छन्दों के योग से निर्मित छन्द भी विषम मात्रिक छन्द कहलाते हैं
जैसे -
एक दोहा + एक रोला = कुंडलिया छन्द
एक रोला + एक उल्लाला = छप्पय छन्द

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Replies to This Discussion

आदरणीय वीनस केसरी जी
कास प्रभु कीजै तोरि सेव
में 15 मात्रा हैं कृपया इस संशय को दूर करें।

आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपको अब कोई संशय क्यों है ? आपके प्रश्न पर आपको माकूल ज़वाब मिल गया है। आप अब आगे बढ़ें  और रचनाकर्म पर ध्यान दें।

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