राम मंदिर
राम व्यापक राम विश्वात्मा
हर जीव में है राम बसा
जन्मभूमि श्री राम कहलाती, भव्य मंदिर एक वहाँ बना।।
देश की आत्मा देश की आस्था
दिग्दर्शन का स्वरूप बना
चेतना, चिंतन, प्रतिष्ठा का, जो राम प्रताप का आधार बना।।
दैवीय शक्तियों का जहाँ पे पहरा
अवध में मंदिर एक बना
श्रेष्ठ आदर्शों का संदेश सुनाता, श्री राम कथा का गीत बना।।
समर्थ, सक्षम, दिव्य-भव्य मंदिर
हिंदमानस का सम्मान बना
सदियों से जिसकी राह देखते, उस संघर्षकाल का विश्राम बना।।
भक्ति-सेवा का आधार कहलाता
त्याग-समर्पण का प्रतीक बना
राष्ट्र चेतना का जो विस्तार कराता, विशाल मन्दिर वो ऐसा बना।।
देश-विदेश से आएं अथिति
मिशाल; भव्य आयोजन की खास बना
प्राण-प्रतिष्ठा की विशालता देखो, देश-विदेश में जिसका शोर सुना।।
अमीर-गरीब का फ़र्क मिटाता
जिसमें न जाति-धर्म ही विघ्न बना
समानता की रखता आधारशिला जो, विपक्षियों पर पक्ष की जीत बना।।
निराशा को मन से दूर भगाता
आशा का स्वरुप बना
सात्विकता का मार्ग दिखाता, जो प्रेम-अहिंसा, सत्य धर्म की नींव बना।।
राम ही सत्य राम ही सुन्दर
हर जीव में राम बसा
उत्साह, उमंग, उल्लास में भरे सब, श्री राम का जब आवास बना।।
सनातन धर्म की धरोहर कहलाया
संस्कृति का शान बना
नए भारत की को झलक दिखलाता, न्याय की अनूठी जीत बना।।
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