“ काली महिमा ”
हे भवानी जय माँ दुर्गा हे काली अब दया करो ।
जगत जननी ममतामयी माँ पालनहारी कृपा करो ।।
चारो तरफ है घोर अन्धेरा माँ अब तुम प्रकाश करो ।
लेकर शक्ति रुप धरा पे पापियो का नाश करो ।।
चल पडी है आज काली, धरती के उद्धार को ।
कर मे थामे खडग खपर, दानव के संघार को ।।
डगमगाये धरती अम्बर, लपलापाये दामिनी ।
बरसे शोले सागर खौले,चलती जाती कपालिनी ॥
आये पथ मे जो भी तेरे ,शीश खंडित कर चले ।
बन विनाशक आसुर कुल की, महिमा मंडित कर चले ।।
धरे रुप काली काल का, आँखो मे ज्वाला भरे ।
मुख लपेटॆ लहू असुर का, कंठ मुंड माला धरे ।।
बाण भाले अस्त्र सारे सब को तू निरा-धार करे ।
हर वार काटे आसुर का, माता जब तू प्रहार करे ।।
थर थर काँपे यम भी माते जब जब तू हुंकार करे ।
त्राही त्राहीमाम करते आसुर हा हा कार करे ।।
रोकने इस महाप्रलय को शिव ने अद्भुत रुप धरे ।
बन के बटकेश्वर महादेव कभी तेरे पग मे पडॆ ।।
ब्रम्हा विष्णु इन्द्र नारद सकल देव जयकार करे ।
ऋषिमुनि नर देव गन्धर्ब कर जोड ये विनती करे ।|
अजर अमर माँ तेरी महिमा चिर अन्ंत तेरा वर्णन ।
जय माँ दुर्गा जय माँ काली तुमको सत सत है नमन ।|
"मौलिक व अप्रकाशित"
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