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Don’t amuse with conceal and hunt,

Don’t upset me to whimper,

Ages passed for our separation

Please come! Restrain my hanker…

 

Hidden in the finite are you Lord

Please give me your one glance,

Enlighten the foremost path, and

Reveal the course of our alliance…

 

You walk besides me in trail

You submerge in my goal,

Even in sleep or wakening

Aroused are you, in moments all…

 

Dissolved are you in my breaths

Leading me to silent sphere,

Vibrations convey your message to me

Silent whispers I do hear…

 

You lives me, with me, within me

Experiencing my every phase,

I drink every vision of your mind

Leading life’s voyage with ease…

 

You are behind my every step

Merged are you in every move,

Resonate me at your frequency

Make me instrument to convey you…

 

Do something my beloved Lord

I am calling you with love’s rain,

Let me, diffuse in ecstacy with passage

And never depart from you again…

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Replies to This Discussion

Dear Prachi ji :

It seems like you have so gently poured out the entire

spirit of Bhakti Yoga here, with your मधुर भाव !

 

Through your implore,  you (Mira Bai) are panting for the Divine !

How can the Divine not hear a call so fervent and alive as thine ?

 

Know  that  your   implore, too, is His gift to you,

a call that comes from Him to only a chosen few.

 

Thanks for spreading His halo so bright,

through your words that are lamps of light.

 

Congratulations.

Vijay

You walk besides me in trail
You submerge in my goal,
Even in sleep or wakening
Aroused are you, in moments all…

God is present everywhere,
What is an example of bringing your ......... Congratulations to you mam ........... 

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"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
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"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
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"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
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"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
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"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
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"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
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"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
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"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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