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विनय कुमार's Discussions (1,589)

Discussions Replied To (35) Replies Latest Activity

"बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , व्याकरण का सही होना तो बहुत जरुरी है , क्षमा…"

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , बिलकुल पढ़ना पड़ेगा तभी सुधार होगा.."

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी , आपका सुझाव बहुत उचित है | धन्यवाद…"

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बिलकुल आधुनिक दोहे रचे हैं आदरणीय सौरभ पाण्डेयजी आपने | आज की परिस्थियों के बिलकुल अ…"

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"रचना को पसंद करने के लिए आभार आदरणीया डॉ नीरज शर्मा जी."

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"रचना को पसंद करने के लिए आभार आदरणीय सचिन देव जी .."

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"// इंटरनेटी जाल ने, निगले सावन गीतनजर नही आती कहीं, झूलों की अब रीत // , वाह , बहुत…"

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत सुन्दर और मनमोहक छंद हुए हैं आदरणीय सुशील सरना जी , बधाई ."

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"कुण्डलियाँ छंद--सावन आया देख के , उठा जो मन में वेग चारो सखियाँ मिल गयीं , लगी लगाने…"

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"// पुरवा की मातल हवा उर को देती चीरऔर कसकती हृदय मेंआज पुरानी पीर // , वाह , वाह , क…"

विनय कुमार replied Jul 17, 2015 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-51

618 Jul 19, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

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