आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ एक्यावनवाँ आयोजन है.
इस बार के आयोजन के लिए सहभागियों के अनुरोध पर अभी तक आम हो चले चलन से इतर रचना-कर्म हेतु एक विशेष छंद साझा किया जा रहा है।
इस बार के दो छंद हैं - - घनाक्षरी छंद (मनहरण घनाक्षरी) / रोला छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
18 नवम्बर’ 23 दिन शनिवार से 19 नवम्बर’ 23 दिन रविवार तक
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
रोला छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
मनहरण घनाक्षरी छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लि...
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 18 नवम्बर’ 23 दिन शनिवार से 19 नवम्बर’ 23 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं।
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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स्वागतम्
छंद विहीन मंच जनु जानी..
मनहरण घनाक्षरी छंद ः
प्रात श्रद्धालु चढ़ायें, जल ....सूर्य नारायण, गंगा की जल... धार ।
लाली ..छाई ..हुई पूर्व, क्षितिज - सतह गंगा, सोना सी आर पार ।।
पुरुष ..अथवा नारी, सभी ..संस्कृति पुजारी, करते..जल - पान ।
साथ - साथ तट पर, गाते गीत आरती के , आन - बान वो शान ।।
स्रोत है जीवन गंगा, मुक्ति जन्म मृत्यु से भी, भारत देश आज ।
इसी ..हेतु ..भगीरथ, लाये गंगा धरा पर, थे पुरखों के काज ।।
देव - दीपावली हम, मनाते भारतवासी, पूर्ण ..कार्तिक मास ।
दीप जले मुक्ति पाते, पुरखे उनके साज, सम्पन्न कार्य खास ।।
प्रोफ. चेतन प्रकाश 'चेतन'
जय-जय
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