For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या होता है व्यक्तित्व

किसी व्यक्ति विशेष का सम्पूर्ण चरित्र उसके व्यवहार द्वारा ही प्रस्तुत होता है, अतः समुच्चय में व्यक्तित्व हमारे चरित्र का प्रत्येक परिस्थिति में प्रस्तुतीकरण है. व्यक्तित्व विभिन्न परिस्थितियों में हमारे आचरण को, हमारे गुणों को, चिंतन मनन को, ज्ञान को, रहन-सहन को, आत्मविश्वास को दर्शाता है. हमारा व्यक्तित्व हमारा हर पहलू होता है – हमारा बात-चीत का तरीका, हमारे संस्कार, हमारी सकारात्मक या नकारात्मक सोच, हमारा खान-पान का तरीका , हमारी पसंद-नापसंद, बातचीत में हमारी सहजता, हमारे अचार-विचार, मान्यताएं, हमारी व्यवहार कुशलता, विषम परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता, कुछ नया सीखने की जिज्ञासा, मनोभावों का नियंत्रण, हमारी शारीरिक व मानसिक प्रबलता, हमारा आत्मविश्वास, इत्यादि.

अतः जो भी हम हैं वही हमारा व्यक्तित्व है, जो हमारे हर निर्णय और प्रस्तुतीकरण के माध्यम से हमारे आने वाले कल का निर्माण भी करता है. यदि हम चाहें तो भी पीछे मुड कर एक गलत शुरुवात को नहीं बदल सकते, पर इसी पल से एक सही दिशा में नयी शुरुवात ज़रूर कर सकते है.

ज़िंदगी को शतप्रतिशत सफलता के साथ जीने के लिए हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ व समर्थ, बौद्धिक रूप से पूर्ण सजग, आध्यात्मिक रूप से जागृत, मानसिक रूप से संतुलित, चरित्र से प्रबल, व सामजिक रूप से सर्वमान्य व सुसभ्य होने की आवश्यकता होती है. तभी हम समाज के सकारात्मक व संरचनात्मक सृजन व परिवर्धन में सहभागी हो सकते हैं.

क्यों करें व्यक्तित्व निर्माण?

व्यक्तित्व निर्माण बदलते समय के प्रवाह के साथ तारतम्य बैठाने तथा समाज में विकास की गति के साथ साथ उसी दर से खुद को भी विकसित करने के लिए आवश्यक है. किसी व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व व समाज की मौजूदा परिस्थितियों में जितना ज्यादा अंतर होता है, व्यक्तित्व निर्माण की आवश्यकता भी उतनी ज्यादा बढ़ जाती है. हर वो व्यक्ति जो स्वयं को बदलते सामजिक परिवेश में सबसे बेहतर प्रस्तुत कर पाता है वही सफलता को आत्मसात करता है.

हम सब ज़िंदगी को सम्पूर्णता के साथ जीना चाहते हैं, हर कदम पर सफलता को पाना चाहते हैं और हर हाल में खुश रहना चाहते हैं. हम मनुष्य एक सामजिक प्राणी हैं, और हमें हर कदम पर एक दूसरे के साथ व्यवहार करना होता है, चाहे वो परिवार में पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चों, भाई- बहन से हो या फिर आस-पड़ोस में हो, चाहे कार्यस्थल में प्रबंधक बंधुओं, सहकर्मियों व अधीनस्थ साथियों से हो, या किसी आयोजन में मित्रों व जानकारों के साथ हो, चाहे किसी  नौकरी के इंटरव्यू में सलेक्शन बोर्ड के साथ हो या कहीं भाषण देते हुए श्रोताओं से हो, हर परिस्थिति में हम एक छाप छोड़ते हैं, जो हमारी पहचान बन जाती है. यदि हमारा व्यक्तित्व तेजस्वी है तो हम एक सकारात्मक नज़रिया कायम करते हैं, और यदि ओजहीन है तो हम एक नकारात्मक छाप छोड़ते हैं. यही छाप हमारी स्वीकार्यता/अस्वीकार्यता या फिर  सफलता/असफलता को निर्धारित करती है. परिणामतः हम भी अपने बारे में अच्छा या बुरा महसूस करते हैं.

क्योंकि हमारा व्यक्तित्व ही हमारी पहचान बन जाता है, और हमारे भविष्य को भी निर्धारित करता है इसलिए हमें इसके प्रति सजग रहना बहुत ज़रूरी है.

तेजस्वी व्यक्तित्व में एक चुम्बकत्व होता है जो अपने सम्मोहन में सभी को आकर्षित करता है. व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्धन लाने के बहुत फायदे है, जैसे:

१.      हम स्वयं अपने बारे में बहुत अच्छा महसूस करते है.

२.      दूसरे लोग हमें महत्त्व देते हैं, और हमारी बातों को गंभीरता से लेते हैं.

३.      हम एक सकारात्मकता को प्रवाहित करते है

४.      लोगों को हमसे मिल कर प्रसन्नता होती है.

५.      लोग हमसे प्रेम करते हैं और हमारा सम्मान करते हैं.

६.      हम दूसरों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन जाते हैं.

७.      हमारे आपसी सम्बन्ध सुमधुर हो जाते हैं.

८.      हम स्वस्थ तन, मन व बुद्धि के अधिकारी होते हैं.

९.      हमें हर क्षेत्र में उन्नति मिलने लगती है.

१०.  हम विषम परिस्थितियों में स्वयं को नियंत्रित रख पाते है.

११.  हम हर हाल में खुश रहते हैं.

१२.  हमारा आत्मविश्वास बहुत बढ़ जाता है.

डॉ. प्राची 

Views: 1011

Replies to This Discussion

प्राचीजी ! आपको इस जटिल विषय पर संतुलित विश्लेषण केलिए साधुवाद .

ऊपर की सभी खूबियाँ हमारे व्यक्तित्व के निर्माण के परिणाम स्वरुप हमें व्यैक्तिक संतुष्टि ,पारिवारिक उत्थान एवं समाजिक सम्मान तथा सार्वजनिक परिचय का स्वरुप आदि रूप में प्राप्त होते हैं . किन्तु आपका व्यक्तित्व आपके बाह्य और व्यक्त आचरणों के अनुसार ही सापेक्ष रूप में समाजिक मापदण्ड पर आँका जाता है ,जो और जिसप्रकार आप स्वेम को व्यक्त करते हैं वही आपके व्यक्तित्व का परिचय ,पहचान बनता है .

व्यक्तित्व के निर्माण की प्रक्रिया सर्वथा इससे भिन्न और आंतरिक है , यह हमें हमारे मूल चरित्र के निर्माण से ,माता-पिता ,गुरुजन , परिवेश तथा स्वतंत्र अध्ययन और अध्यात्मिक ज्ञान से , सात्विक और सकारात्मक दृष्टिकोण तथा असहज संदर्भों, विषयों ,समस्याओं पर भी सहज ,सरल निवारण देने की प्रकृति आदि के निरंतर अभ्यास से प्राप्त होता है . इन्हीं ज्ञान तत्वों के बल पर हम सामान्य से असामान्य व्यक्तित्व में परिवर्तित हो जाते हैं . हममें लोगों के विश्वास ,श्रद्धा और स्नेह संचित होने लगते हैं और लोगों के इस विश्वास से ही हममें नैतिक सुचेष्टायें जाग्रत होतीं हैं , हमारा आत्मबल विकसित होता है और हमारे नैतृत्व की क्षमता को आत्मिक बल मिलता है और उत्तरोत्तर अपने समीपस्थ और निकटस्थ परिवेश में हमारे आचरण और व्यवहार को आदर मिलने लगता है जो हमारे व्यक्तित्व का और हमारा समाजिक छवि निर्माण करता है . 

आदरणीय विजय मिश्र जी, 

इस चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है!

आपका आभार की आपने इस चर्चा में रूचि ले कर अपने विचारों को सामने रखा. 

आपकी बात से सहमत हूँ कि व्यक्तित्व के निर्माण की प्रक्रिया आतंरिक है... पर आतंरिक प्रक्रिया पर पहुंचने से पहले यदि हम वाह्य अभिव्यक्ति को देखते चलें तो परिवर्तन की आवश्यकता को समझ पाना आसान होगा.

व्यक्तित्व के कितने आयाम होते है, हम उन्हें कैसे समझ सकते है, व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया क्या है, उन पर भी चर्चा जरूर की जायेगी , उसके लिए क्रमांक-२,३  इंतज़ार करना होगा.

"यह हमें हमारे मूल चरित्र के निर्माण से ,माता-पिता ,गुरुजन , परिवेश तथा स्वतंत्र अध्ययन और अध्यात्मिक ज्ञान से , सात्विक और सकारात्मक दृष्टिकोण तथा असहज संदर्भों, विषयों ,समस्याओं पर भी सहज ,सरल निवारण देने की प्रकृति आदि के निरंतर अभ्यास से प्राप्त होता है"...........बिलकुल ठीक कहा

व्यक्तित्व का एक बहुत बड़ा पहलू आत्मविश्वास भी होता है, आत्मविश्वास हीनता के कारणों को समझना, और स्वयं पर विशवास करना सीखना, व्यक्तित्व निर्माण के लिए बेहद आवश्यक है. यदि हम जिस गति से समाज उन्नति कर रहा है, उस गति से खुद को नहीं बदल पाते तो भी हम आत्मविश्वास हीनता अनुभव करते हैं

उदाहरणतः - यदि किसी छात्र को आज अंग्रेजी बोलनी नहीं आती तो वो एम् एन सी में नौकरी भी नहीं पा सकता, और चुपचाप बैठा रहता है, खुद को समूह में अभिव्यक्त भी नहीं करता.  

इस तरह के और भी कई उदाहरण होते हैं जो हमारे व्यक्तित्व को कमजोर बनाते जाते है, उनके प्रति हमारा रवैया कैसा हो , यह समझना बहुत ज़रूरी है. यह एक बहुत वृहद् विषय है, जिरे सिर्फ कुछ उदाहरणों में समेटा नहीं जा सकता.

इस चर्चा को अपने कीमती विचारों से संवर्धित करने हेतु आपका आभार आदरणीय.

श्रद्धेया प्राचीजी , 

नमस्कार 

हाँ , यह क्रमिक है और विषय पर विस्तार आने शेष हैं ,यह मुझे अब सुझा . उत्तर के लिए धन्यवाद .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service