For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“आपके असीम प्रेम के बदले, मैं आपके सपनों का भारत दूँगा” जैसे वाक्य से संबोधित करने वाले मोदी से करोड़ो लोगो की आँखों में सपने जाग उठे और इसकी शुरुआत हुई स्वपनिल अभियानों से। अभियान यानि विकास की सम्भावना की अलख, और जब ये अलख अलाकमान से उठती है तो पूरा देश उठ खड़ा होता है इन अभियानों में अपनी शानदार भागीदारी देने के लिए। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही देशवासियों की उम्मीदें कुलाचे भरने लगी और ये उम्मीदें अभियानों के रूप में धीरे-धीरे आस जगाने लगी है क्योंकि ये अभियान ही हमें बताते हैं कि देश की सोच किस ओर जा रही है, और हमें अपने कदम किस ओर बढ़ाने हैं। देश की जनता प्रतिक्षारत थी के देश की बागडोर उन हाथों में जाये जो उनके महत्वाकांक्षी सपनों में रंग भर सके, बस जनता की इसी नब्ज़ को मोदी  ने अपनी पारखी नज़रों से भाँप लिया और वादा कर बैठे संवेदनशील भारतीयों से कि उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरकर देश के विकास का भूगोल बदल सकें। ये सच है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकप्रियता और सम्मान पाने का इतिहास रचने में बेशक कामयाबी पायी है, किन्तु  उम्मीदों के अभियानों को जमीनी हकीकत देने में उनकी तरफ से अभी बहुत कुछ आना बाकी है। अभियानों का ये सिलसिला आज से नहीं बरसों से चला आ रहा है जिसकी फेहरिस्त बहुत लंबी है। ना जाने कितने अभियान आए और चले गए, किन्तु  कुछ अभियानों को ही अपनी मंज़िल तक पहुँचकर इतिहास में दर्ज होने का मौका मिला।

      अभियानों के अतीत में न जाकर बस इतना ज़रूर है कि इन अभियानों को सफल बनाने के लिए सभी की सहभागिता ज़रूरी है। नि:संदेह महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को सफल बनाने के लिए आम जन मानस, जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अमले का सामंजस्य बहुत ज़रूरी है क्योकि आमजन के जुड़ाव से ही सफल होते हैं ये अभियान।

      125 करोड़ लोगों की आँख के सपनों को पूरा करने के लिए जब लाल किले की प्राचीर से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत की घोषणा जिस गर्वीले ढंग से की गयी उस वक्त देश के करोड़ों नौजवानों के सपनों को पंख लग गए। विकास का श्रीगणेश इतने सुनियोजित तरीके से होगा, उस पल किसी को भी इसका आभास नहीं था किन्तु ‘मेक इन इंडिया’ विकास का इतिहास रचने वाला तथा बेरोजगारी का अंत करने वाला अभियान भी साबित हो सकता है इसकी उम्मीद की जा सकती है और यह अभियान हमें रोज़गार ढूंढने वाले देश के बजाय कारोबारियों के देश में भी तब्दील  कर सकता है।

      प्रधानमंत्री की कुर्सी की ताजपोशी के तत्पश्चात जश्न और दावतों में खो जाने के दिन होते हैं, इस सबको धता बताते हुये मोदी ‘गंगा स्वच्छता’अभियान को कठिन चुनौती के रूप में देख रहे थे, देश की संस्कृति और परंपरा को सहेजकर रखने का दायित्व निभा रहे थे। एक बार को हम मान भी लें कि ये लोकप्रियता बटोरने का मात्र दिखावा हो, या खुद को महान साबित करने की उत्कंठा? तो फिर ये जज़्बा किसी और के मन में क्यूँ नहीं आया? सच तो यह है कि ये सब करने के लिए एक बहत बड़ी ज़िम्मेदारी और जुनून का निर्वहन करना होता है जो मोदी जी कदम-दर-कदम करते चले आ रहे हैं।

            राजनीतिक सफर तय करने के दौरान मोदी जी ने अनेक अभियानों को सफलता  और असफलता की कसौटी पर परखा होगा। यद्यपि समाज का उत्थान ही अभियान का मूल उद्देश्य होता है, बावजूद इसके आमजन की भावना, प्रशासन की इच्छाशक्ति और सरकार के दायित्व की पूर्ति से ही किसी अभियान की सफलता की इबारत लिखी जा सकती है। उम्मीद इसलिए भी लाजिमी है कि ऐसा ही एक अभियान रहा है ‘पोलियो मुक्त अभियान’,जिसने अपने लक्ष्य में शत प्रतिशत कामयाबी हासिल की है जिसकी बदौलत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की गरिमा अधिष्ठापित हुयी है। सामाजिक सरोकारों से संबंधित अभियान तब तक सफल नहीं हो पाते जब तक आम आदमी का उससे सीधा जुड़ाव ना हो, अन्यथा द्रढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में कन्याभ्रूण,बेटी बचाओ एवं बालश्रम उन्मूलन जैसे अभियानों को उतनी सफलता नहीं मिली जितनी उम्मीद थी। सबसे ज्यादा अगर किसी अभियान ने निराश किया है तो वो है स्कूल चलो अभियान और साक्षरता मिशन। सरकार के सबसे अधिक ये स्वप्निल अभियान जिस तरह से धाराशायी हुये, उससे सभी की नीयतों पर सवालिये निशान खड़े हो गए। स्कूल चलो अभियान में शिक्षकों, अभिभावकों के साथ जनप्रतिनिधियों को भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी थी जिसकी कमी हर मौके पर देखी गयी। आज ये सभी अपनी असफलता के कारण कठघरे में खड़े हें। अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार मुक्त भारत एवं बाबा रामदेव के‘कालेधन की स्वदेश वापसी’ ने अपने जन अभियानों का आईना समाज के सामने है। ऐसे तमाम अभियानों का जो हश्र हुआ वो किसी से भी छुपा नहीं है। नरेंद्र मोदी ने इन अभियानों की मीमांसा करके ही अपने इन अभियानों को जनता से सीधे जोड़ने की बात कही। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की १४६वीं जयंती के अवसर पर मोदी ने राजधानी दिल्ली के राजपथ से अपनी महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत कर इसे राष्ट्रीय जुनून बनाए जाने का संकल्प लिया। महज अगले चार सालों में गांधी जी की १५०वीं जंयती पर ये अभियान अपने लक्ष्य में कामयाबी की इबारत  भी लिख सकता है, बशर्ते नगरपालिकाएँ एवं समस्त नागरिक इसके क्रियान्वन में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें।

      अभियानों को लेकर मोदी जी जिस तरह सक्रिय दिख रहे हें उससे देशवासियों की उम्मीदों के केन्द्रबिन्दु बने हुये हें। अभियान चाहे ‘मेक इन इंडिया” हो “गंगा सफाई” या फिर “स्वच्छता अभियान” हो इन सब में मोदी जी की दूरगामी सोच नजर आती है। आज़ादी के 68 साल गुजर जाने के बाद भी  देश में करोड़ों बेरोजगारों की जमात है। अगर ऐसे में “मेक इन इंडिया” अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है तो निश्चित ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि रोजगार की  आस में दर-दर भटक रही युवा पीढ़ी के लिए रोजगार के द्वार खुलने वाले हें। देश का युवा आत्मसम्मान के साथ जीना चाहता है, बस जरूरत है उसे ऐसे अवसरों की जो उसके सपनों को साकार कर सके। 

इसी प्रकार ना जाने कितनी सरकारें आयीं और गईं लेकिन किसी ने गंगा सफाई अभियान को मूर्तरूप प्रदान नहीं किया शायद यही वजह रही कि ढुलमुल तरीके से किया गया गंगा सफाई अभियान मात्र रैली और धरनों में ही सिमटकर रह गया। पतित पावनी गंगा स्वयं को गंदगी के अंबार में तब्दील होते देखकर कराह उठी। ऐसे में मोदी जी के द्वारा सत्तासीन होने पर बनारस के घाट से गंगा मैया की आरती किए जाने से उनके इरादे उसी समय स्पष्ट हो गए थे कि अपनी संस्कृति और परम्पराओं को सहेजने के लिए उनका यह “गंगा सफाई अभियान” वास्तविक धरातल पर देखने को मिलेगा। अन्यथा मात्र कुछ साल पूर्व मौरीशस के तत्कालीन राष्ट्रपति सर अनिरुद्ध जगन्नाथ गंगा की हालत देखकर बिना स्नान किए अपने देश लौट गए थे उस वक़्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मैली होती गंगा की कुचर्चाएँ सरेआम हो गयी थी। लोगों की स्वच्छता के प्रति उदासीनता और घोर लापरवाहियों ने इस देश की प्रतिष्ठा पर हमेशा बदनुमा दाग लगाए। जगह –जगह गंदगी और कूड़ों के ढ़ेर ने आम सैलानियों के मन में इस देश की ऐसी बदरंग तस्वीर पेश की कि विश्व स्तर पर भारत को उपहास के अलावा और कुछ न मिला। जिससे हर नागरिक के मन में एक ऐसे कुशल नेत्रत्व की आवश्यकता महसूस होने लगी जो विश्वपटल पर स्वच्छ भारत की छवि स्थापित कर सके। आखिर इन उम्मीद भरे अभियानों से उम्मीद इसलिए भी स्वभाविक है कि अभियानों का मकसद समाज के वास्तविक उत्थान से जुड़ा होता है साथ ही उसमे हर देशवासी की सहभागिता अनिवार्य होती है। उम्मीदों के सफर पर इस देश की सवा सौ करोड़ जनता यदि इन अभियानों का हिस्सा बन रही है तो कही ना कही मोदी द्वारा दिखाये गए सपनों को हकीकत में बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है बस इसके  आशातीत सुखद परिणाम आने बाकी हें। 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 714

Replies to This Discussion

जी आदरणीया।
आपने सही कहा कि मोदी जी ने आशा की एक नव-किरण तो जगाई है...लेकिन हम नागरिकों को भी अपने कर्तव्य के प्रति बहुत सजग रहने की आवश्यकता है। देश के विकास में हम सब की सहभागिता नितांत आवश्यक है।
ऐसा लेख प्रस्तुत करना आपकी जागरूकता का परिचायक है।
आपको हार्दिक बधाई।
सादर

आदरणीया

हम यह तो बहु सोचते है कि देश हमारे लिए क्या करता है पर  कभी यह सोचना भी जरूरी है  कि हम देश के लिए क्या करते है ? सभी को अपने कर्तव्य का ध्यान होना चाहिए i

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service