18 सितम्बर की वो गुनगुनी दुपहरिया जब हमसभी आभासी बिम्बों की परिधि से बाहर निकल सापेक्ष-सच्चाई के मोड़ पर आ मिले थे !
...सौरभ पाण्डेय
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Location: Delhi
Comment
saubhaagya...
आराधनाजी,
आपकी तथा आशीषभाई की निर्दोष ग्राह्यता हमें परिमार्जित कर गयी. इस तथ्य को तो धरमभाई भी अनुमोदित कर रहे हैं.
धन्यवाद.
aadarneey saurabh ji evam dharam ji, aap dono hi se milna ek bada hi khubsurat anubhav raha. aap dono ka dil se dhanyawaad.
saadar,
aradhana
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