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आ० राजेश कुमारी जी के निवास पर कुछ यादगार पल

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 5, 2014 at 10:20pm

ओहहो सौरभ जी को बाग़ नहीं दिखाया !!!!!!!!!

फिर तो दो नन्हे-नन्हे जीवों से भी यकीनन नहीं ही मिलवाया होगा :((((

हा! हा! हा !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2014 at 5:38pm

आ० सौरभ जी  आप ने सही कहा उस वक़्त हम सभी काव्य सागर में डुबकियाँ लगाने में इतने व्यस्त हो गए थे की घर के बाहर ही नहीं निकले बाद में ये ख्याल मन में आया भी था|चलो अबकी बार गार्डन में ही काव्य गोष्ठी रखेंगे आपको जल्दी ही इनवाईट करुँगी | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2014 at 5:23pm

अच्छा, तो आदरणीया राजेशजी ने मुझे अपना ये बाग नहीं दिखाया था !

:-)))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 5, 2014 at 4:55pm

आ० राजेश जी,

इस मुलाक़ात के लिए थैंक्स एक-दूसरे को नहीं बल्कि समय को ही देना चाहिए....कि एक तरफ तो आप भी मुम्बई से वापिस आ गयी थीं और वहीं दूसरी तरफ मेरे पतिदेव को भी आपके घर के बिल्कुल पास ही में कुछ ऑफिशियल काम था...तो मसूरी से लौटते हुए ये खूबसूरत इत्तेफाक ..अचानक एक छोटी और मधुर मुलाक़ात में परिणत हो सका.

सच में वो पल जब कोइ अपना अपनी सी बातें करता है..समझता है..और हमें जो हम हैं वैसे ही सचमुच पहचानता है तो आसपास की सकारात्मकता हमें जिस उल्लास ऊर्जा सुकून आह्लाद से भर देती है...वो शब्दों के परे ही होता है.

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2014 at 3:22pm

रीयली अविस्मर्णीय पल थे वो शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती कि मुझे वो पल कितने अच्छे लगे.thanks for visit dear.  

Comment by Meena Pathak on June 5, 2014 at 3:06pm

बागों में बहार है   :-)

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