For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिलीप कुमार तिवारी
Share on Facebook MySpace
 

दिलीप कुमार तिवारी's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
shahdol madhya pradesh
Native Place
shahdol
Profession
PRINCIPAL RAJIV GANDHI COLLEGE SHAHDOL

दिलीप कुमार तिवारी's Photos

  • Add Photos
  • View All

दिलीप कुमार तिवारी's Blog

आज़ादी की तलाश

आज़ादी के कई सालों बाद

उसकी तलाश ज़रूरी लगती है .

प्रजातन्त्र की भौतिकवादी

प्रवित्रियो में लिप्त आज़ादी  अधूरी लगती है.

आज़ादी की तलाश  उन बcचो के सपनों में है

जिनका बचपन कलम-किताब छोड़  होटलों में बिकता है

आज़ादी की तलाश  किसानों के खेतों में है

जिनके आखों में पानी  और गले मे मौत है

आज़ादी की तलाश  वेरोज़गार युवीमन में है

जहाँ आखरी डिग्री की आस है

जिससे भूखा पेट भरा जा सके

आज़ादी की तलाश  फूटपाथ पर सोए लोगों…

Continue

Posted on August 14, 2015 at 1:30am — 4 Comments

दिल्ली

एक शहर

अत्यधिक आधुनिक टापुओ का है

जहाँ गरीवी बहुत बौनी दिखती है

हर गली में अमीरी गुलजार है

वहाँ गरीवो से अप्रत्यासित घ्रणा

अमीरों के अमीरी से बेशुमार प्यार है

वह "ग़ालिब "का शहर प्रेम से कितनी दूर हो गया है

हैवानियत ,दरिन्गीं ,लफ्फाजियो  के लिए मशहूर हो गया है

इस शहर में रहते है भारत के कर्णधार

जिनका प्रिय पेशा है भ्रस्टाचार

ओ किसी भी काम में अपने को शिद्ध पुरुष मानते है

तोप ,प्याज ,अनाज से लेकर चारा तक खाने में माहिर है …

Continue

Posted on October 8, 2013 at 11:30pm — 13 Comments

संवेदना

संवेदन शील मन

बार-बार क्यों

डूबता उतराता है

संवेदना के समंदर में

हजारबार गोते खाता है

प्रश्नों का अम्बार है

आज तो मर्यादा का व्यापार है

वास्तव में संवेदनाहीन हो रहा संसार है

गरीवी ,लाचारी ,बेचारी ,बेरोजगारी और कुछ शब्द थे ,

जिनमें संवेदना का अधिकार व्याप्त था

संवेदनशील मन के लिए इन शब्दों का होना पर्याप्त था

किन्तु संवेदना की परिभाषा बदल गयी

जहाँ संवेदना थी ओ भाषा बदल गयी

आज अत्याचारी ,बलात्कारी, भ्रष्टाचारियों पर…

Continue

Posted on October 7, 2013 at 12:30am — 15 Comments

मै आदमी हूँ / दिलीप कुमार तिवारी

 मै आदमी हूँ

सम्बेदंशील हूँ

मुझे  कई आदमी

कहलाए जाने वालों

ने   छला है I



छाछ फूककर  

पीता हूँ हर-बार

क्यों की मेरा मुह

दिखावे के गर्म दूध से जला है I I



कल्पनाओ का समंदर

मेरे मन में भी है

कुछ पाने की चाह में

जीवन की राह  में  तुमसे मिला है I I I



मुझे रोकना नहीं

टोकना नहीं तुम

बढने दो मेरे पैर

ये हमारी दुश्मनी बदल कर

दोस्ती का सिलशिला है I I I I



मौलिक /अप्रकाशित

दिलीप कुमार तिवारी…

Continue

Posted on September 11, 2013 at 12:59am — 12 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service