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It's दिलीप कुमार तिवारी's birthday today!

दिलीप कुमार तिवारी
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Profile Information

Gender
Male
City State
shahdol madhya pradesh
Native Place
shahdol
Profession
PRINCIPAL RAJIV GANDHI COLLEGE SHAHDOL

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दिलीप कुमार तिवारी's Blog

आज़ादी की तलाश

आज़ादी के कई सालों बाद

उसकी तलाश ज़रूरी लगती है .

प्रजातन्त्र की भौतिकवादी

प्रवित्रियो में लिप्त आज़ादी  अधूरी लगती है.

आज़ादी की तलाश  उन बcचो के सपनों में है

जिनका बचपन कलम-किताब छोड़  होटलों में बिकता है

आज़ादी की तलाश  किसानों के खेतों में है

जिनके आखों में पानी  और गले मे मौत है

आज़ादी की तलाश  वेरोज़गार युवीमन में है

जहाँ आखरी डिग्री की आस है

जिससे भूखा पेट भरा जा सके

आज़ादी की तलाश  फूटपाथ पर सोए लोगों…

Continue

Posted on August 14, 2015 at 1:30am — 4 Comments

दिल्ली

एक शहर

अत्यधिक आधुनिक टापुओ का है

जहाँ गरीवी बहुत बौनी दिखती है

हर गली में अमीरी गुलजार है

वहाँ गरीवो से अप्रत्यासित घ्रणा

अमीरों के अमीरी से बेशुमार प्यार है

वह "ग़ालिब "का शहर प्रेम से कितनी दूर हो गया है

हैवानियत ,दरिन्गीं ,लफ्फाजियो  के लिए मशहूर हो गया है

इस शहर में रहते है भारत के कर्णधार

जिनका प्रिय पेशा है भ्रस्टाचार

ओ किसी भी काम में अपने को शिद्ध पुरुष मानते है

तोप ,प्याज ,अनाज से लेकर चारा तक खाने में माहिर है …

Continue

Posted on October 8, 2013 at 11:30pm — 13 Comments

संवेदना

संवेदन शील मन

बार-बार क्यों

डूबता उतराता है

संवेदना के समंदर में

हजारबार गोते खाता है

प्रश्नों का अम्बार है

आज तो मर्यादा का व्यापार है

वास्तव में संवेदनाहीन हो रहा संसार है

गरीवी ,लाचारी ,बेचारी ,बेरोजगारी और कुछ शब्द थे ,

जिनमें संवेदना का अधिकार व्याप्त था

संवेदनशील मन के लिए इन शब्दों का होना पर्याप्त था

किन्तु संवेदना की परिभाषा बदल गयी

जहाँ संवेदना थी ओ भाषा बदल गयी

आज अत्याचारी ,बलात्कारी, भ्रष्टाचारियों पर…

Continue

Posted on October 7, 2013 at 12:30am — 15 Comments

मै आदमी हूँ / दिलीप कुमार तिवारी

 मै आदमी हूँ

सम्बेदंशील हूँ

मुझे  कई आदमी

कहलाए जाने वालों

ने   छला है I



छाछ फूककर  

पीता हूँ हर-बार

क्यों की मेरा मुह

दिखावे के गर्म दूध से जला है I I



कल्पनाओ का समंदर

मेरे मन में भी है

कुछ पाने की चाह में

जीवन की राह  में  तुमसे मिला है I I I



मुझे रोकना नहीं

टोकना नहीं तुम

बढने दो मेरे पैर

ये हमारी दुश्मनी बदल कर

दोस्ती का सिलशिला है I I I I



मौलिक /अप्रकाशित

दिलीप कुमार तिवारी…

Continue

Posted on September 11, 2013 at 12:59am — 12 Comments

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