For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै आदमी हूँ / दिलीप कुमार तिवारी

 मै आदमी हूँ
सम्बेदंशील हूँ
मुझे  कई आदमी
कहलाए जाने वालों
ने   छला है I

छाछ फूककर  
पीता हूँ हर-बार
क्यों की मेरा मुह
दिखावे के गर्म दूध से जला है I I

कल्पनाओ का समंदर
मेरे मन में भी है
कुछ पाने की चाह में
जीवन की राह  में  तुमसे मिला है I I I

मुझे रोकना नहीं
टोकना नहीं तुम
बढने दो मेरे पैर
ये हमारी दुश्मनी बदल कर
दोस्ती का सिलशिला है I I I I

मौलिक /अप्रकाशित
दिलीप कुमार तिवारी

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 1:07pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

आदरणीय, इन शब्दों के अर्थ जानना है।

सम्बेदंशील?

सिलशिला?

Comment by विजय मिश्र on September 13, 2013 at 12:15pm
"क्यों की मेरा मुह
दिखावे के गर्म दूध से जला है I"
- सम्वेदना ही तो मनुष्यत्व है अन्यथा पाषाण में भी शिल्पकार स्वरुप डाल देता है .मानवीय गुणों के निरन्तर हो रहे ह्रास को इंगित करती एक सार्थक कविता |सुंदर प्रस्तुति केलिए बधाई दिलीपजी .
Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:19pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आप को रचना पसंद आयी इसके लिए ह्रदय से आभार

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:16pm

आदरणीय अनंत जी   आपके  स्नेह और आशीष के लिए ह्रदय से आभार

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:12pm

सम्माननीया महिमा जी आप को सादर
आभार...रचना को पसंद करने के लिए

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:10pm

सम्माननीया मीना जी आप को सादर
आभार....

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on September 12, 2013 at 9:07pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका स्नेह और आशीष के लिए ह्रदय से आभार

Comment by Meena Pathak on September 12, 2013 at 1:56pm

बहुत सुन्दर रचना ....बधाई आप को


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2013 at 10:19pm

आदरणीय दिलिप भाई , सुन्दर अभिव्यक्ति , सुन्दर रचना के लिये बधाई !!

Comment by MAHIMA SHREE on September 11, 2013 at 9:09pm

सच्ची सुंदर अभिव्यक्ति ...बधाई ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service